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________________ जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद विभिन्न मतवादों को लेकर वृहद् तथा आंशिक रूप से काफी काम किया जा चुका है, किन्तु तीनों ही परम्पराओं को दृष्टि में रखते हुए विशद तथा तुलनात्मक अध्ययन मेरी जानकारी के अनुसार अभी तक नहीं हुआ है। अतः प्रस्तुत विषय पर शोध करने का यह भी एक उद्देश्य रहा। viii अतः जैन आगम ग्रंथों में पंचमतवाद इस विषय को केन्द्र में रखते हुए विभिन्न मतवादों से संबंधित धर्म, दर्शन, संस्कृति, आचार, परम्परा आदि का शोधपरक गवेषणात्मक अध्ययन मेरे शोध का मुख्य अभीष्ट रहा है। निश्चित ही यह शोध कार्य महावीर युगीन सामाजिक, राजनीतिक एवं दार्शनिक स्थिति को स्पष्ट कर सकेगा। जो प्राचीन भारतीय संस्कृति के सामाजिक, राजनीतिक, दार्शनिक और साहित्यिक अवदान को भी स्पष्ट करता है, साथ ही वह तत्कालीन समय की सम-सामयिक विभिन्न परिस्थितियों के चित्रण में पूर्णतः समर्थ है। ऐसा मेरा मानना है । जैन दर्शन और उसके तात्त्विक चिन्तन का मूल, आगम में निहित है । जैन आगमों में भारतीय परम्परा के विभिन्न मत-दर्शन के ऐसे सिद्धान्तों का उल्लेख है जिनका भारतीय दार्शनिक चिन्तन में अपना वैशिष्ट्य है । यद्यपि जैन आगम श्रमण आचार का ही ज्यादा प्रतिपादन करते हैं तथापि आगमों में तत्कालीन समाज, राजनीति, अर्थनीति, सांस्कृतिक चिन्तन तथा विभिन्न धार्मिक परम्पराओं अथवा अन्यतीर्थिक मतवादों से सम्बन्धित चिन्तन भी मुखर हुआ है। चूंकि शोध विषय आगमों में दार्शनिक मतवादों पर आधारित है अतः आगम साहित्य का आलोडन करना आवश्यक था। आज यह माना जाता है कि जैन आगम साहित्य का अधिकांश भाग लुप्त हो चुका है, तथापि सत्य यह भी है कि जो आज उपलब्ध है वह परिमाण की दृष्टि से बहुत कम नहीं उस विशाल जैनागम साहित्य में दार्शनिक मतों तथा तत्कालीन समाज और राजनीति से सम्बन्धित विषय का समग्र अध्ययन करना शोधावधि के अल्प समय में संभव नहीं था, अतः मैंने शोध विषय को आगमों में प्रचलित विभिन्न मतों में से पांच मतों - पंचभूतवाद, एकात्मवाद, क्षणिकवाद, सांख्यमत एवं नियतिवाद इस विषय को केन्द्र में रखते हुए अन्य मतों से सम्बन्धित विषयों तथा तत्कालीन समाज और राजनीतिक स्थिति का 600 ई.पू. के समकालीन साहित्य बौद्ध
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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