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________________ 124 जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद को नहीं मानते तथा सहेतुक (कारण से उत्पन्न) और अहेतुक (बिना कारण से उत्पन्न) आत्मा को भी नहीं मानते (I. सूत्रकृतांग, I.1.1.17, II. प्रश्नव्याकरण, I.2.4 [354])। सूत्रकृतांग तथा उसकी वृत्ति के अनुसार पंचस्कन्धवाद क्षणिकवाद कुछ बौद्धों का मत है-कुछ बौद्धदर्शन को मानने वाले पंचस्कन्धों का प्रतिपादन करते हैं (सूत्रकृतांगवृत्ति, पृ. 17 [355])। यहां पर क्षणिकवादी बौद्धों के लिए खणजोइणो (क्षणयोगी) शब्द का प्रयोग हुआ है। यद्यपि जैन आगमों में विभिन्न मतवादों के उल्लेख मिलते हैं और मूल दर्शन का नाम प्रायः नहीं मिलता है। किन्तु यहां पर दर्शन के नाम का प्रत्यक्ष उल्लेख हुआ है। साथ ही सूत्रकृतांग में बुद्ध और बौद्ध इन शब्दों का भी प्रयोग हुआ है (सूत्रकृतांग, I.11.25, II.6.28 [356])। यह विशेष ध्यातव्य बिन्दु है। जैन आगमों में पंचस्कन्धवाद के इस संक्षिप्त विवरण के अतिरिक्त अन्य जानकारी प्राप्त नहीं होती किन्तु बौद्ध त्रिपिटकों में पंचस्कन्धवाद का विस्तृत विवरण प्राप्त होता है। बौद्ध ग्रन्थों में पांच स्कन्ध प्रतिपादित हैं-1. रूपस्कन्ध 2. वेदनास्कन्ध 3. संज्ञास्कन्ध 4. संस्कारस्कन्ध, 5. विज्ञानस्कन्ध। इन पांचों को उपादानस्कन्ध भी कहा गया है। गर्मी, सर्दी, भूख, प्यास आदि विविध रूपों में विकार प्राप्त होने के स्वभाव वाला जो धर्म है, वह सब एक होकर रूपस्कन्ध बनता है। इसको रूपम इसलिए कहते हैं क्योंकि ये अपने आपको प्रकट करता है। भूत और उपादान के भेद से रूपस्कन्ध दो प्रकार का होता है। सुख-दुःख, असुख और अदुःख रूप वेदन अनुभव करने के स्वभाव वाले धर्म का एकत्रित होना वेदना स्कन्ध है। विभिन्न संज्ञाओं के कारण वस्तुविशेष को पहचानने के लक्षण वाला स्कन्ध संज्ञास्कन्ध है। पुण्य-पाप आदि धर्म राशि के लक्षण वाला स्कन्ध, संस्कारस्कन्ध कहलाता है। जो जानने के लक्षण वाला है, उस रूपविज्ञान, रसविज्ञान आदि विज्ञान समुदाय को विज्ञान स्कन्ध कहते हैं (I. दीघनिकाय, X.3.20, II. अंगुत्तरनिकाय, IV.9.7.4 पृ. 110, बौ.भा.वा.प्र., II. विसुद्धिमग्ग, खंधनिद्देस, III.14.18-20, 28 बौ.भा.वा.प्र. [357])।
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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