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________________ ii तृतीय अध्याय चतुर्थ अध्याय पञ्चम अध्याय षष्ठ अध्याय जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद 5. पंचभूतवाद एवं तज्जीव- तच्छरीरवाद नास्तिकता की कसौटी पर 6. जैनेतर परम्परा में पंचभूतवादी एवं अन्य भौतिकवादी मान्यताएँ 7. पंचभूतवाद की जैन दृष्टि से समीक्षा एकात्मवाद 1. आत्मा की व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ एवं परिभाषा 2. जीव के पर्यायवाची शब्द - जीव और ब्रह्म, जीव और जीवास्तिकाय 3. जैनागमों में आत्मा का स्वरूप विवेचन 4. महावीरयुगीन आत्मविषयक विभिन्न मतवाद 5. जैन आगमों में एकात्मवाद का प्रतिपादन 6. एकात्मवाद की जैन दृष्टि से समीक्षा क्षणिकवाद 1. जैन आगमों में क्षणिकवाद का प्रतिपादन क्षणभंगी पंचस्कन्धवाद • चतुर्धातुवाद 2. क्षणिकवाद की जैन दृष्टि से समीक्षा सांख्यमत 1. जैन आगमों में सांख्यमत का प्रतिपादन • अकारकवाद आत्मषष्ठवाद 2. महावीर युग में सांख्यमत (परिव्राजक परम्परा) 3. सांख्यमत की जैन दृष्टि से समीक्षा 94-120 • 121-134 135-151 नियतिवाद 1. नियतिवाद का स्वरूप ( ऐतिहासिक दृष्टि से) 2. मंखली और आजीवक शब्द विमर्श 3. जैन आगमों में नियतिवाद का प्रतिपादन 4. नियतिवाद के सम्बन्ध में आचार्य महाप्रज्ञ के विचार 5. जैन और बौद्ध परम्परा में आजीवक आचार : एक तुलनात्मक दृष्टि 6. आजीवक संघ की वृद्धि के कारण 152-180
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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