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________________ पञ्चभूतवाद 83 (संयुत्तनिकाय, III.1.1.1, बौ. भा. वा. प्र. [231] ) । इस प्रकार बुद्ध के दर्शन ने अजित के अनित्य आत्मवादी सिद्धान्त को स्व आत्मगत कर उसकी नैतिक सुखवादी धारणा को परिशुद्ध कर उसे दुनिया के सामने नये रूप में प्रस्तुत कर दिया हो, ऐसा संभव है । उपर्युक्त तथ्यों के आलोक में यह स्पष्ट होता है कि अजित केशकम्बल के सिद्धान्त चार्वाक ( लोकायत ) मत जैसे हैं । इस प्रकार अजित परलोक नहीं मानते थे, पुण्य-पाप भी नहीं मानते थे और कर्मफल की प्राप्ति को भी अस्वीकार करते थे । वे निश्चित ही इस मत को मानने वाले थे कि यह शरीर चार अथवा पांच तत्त्वों का बना है और देह से पृथक् आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं है तथा शरीर के विनाश के साथ इस जीवन की समाप्ति हो जाती है और वैदिक कर्मकाण्ड (यज्ञ, हवन) आदि व्यर्थ है । ' 4. पंचभूतवाद एवं तज्जीव- तच्छरीरवाद में अन्तर पूर्वोक्त विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि पंचभूतवाद तथा तज्जीव- तच्छरीरवाद का विकसित रूप चार्वाक या लोकायत दर्शन को मान सकते हैं। जैसा कि शीलांक ने पंचभूतवाद को लोकायत बार्हस्पत्यमत और चार्वाक नाम दिया है। कहा जा सकता है कि पंचभूतवाद और तज्जीव- तच्छरीरवाद चार्वाक दर्शन की प्रारम्भिक दो शाखाएँ होनी चाहिए, क्योंकि इन दोनों में अत्यधिक समानता है, फिर भी ये दोनों मत जैन आगमों में पृथक्-पृथक् उल्लेखित हुए हैं। कहा जा सकता है कि ये प्रारम्भ में चार्वाक जैसे ही सिद्धान्त को मानने वाले थे, किन्हीं बातों में मतभेद होने से बाद में इनके प्रवर्तक और उनके अनुयायी इन दो मतों में विभाजित हो गये होंगे और अलग-अलग अपने सिद्धान्तों का प्रचार किया हो। इसीलिए इनमें कुछ बातों को लेकर अन्तर दिखाई देता है । वैदिक परम्परा में तज्जीव - तच्छरीरवाद नाम से उल्लेख नहीं मिलता किन्तु बौद्ध परम्परा तथा जैन परम्परा में जो जीव है, वही शरीर है। इस मत का तज्जीव-तच्छरीरवाद नाम से उल्लेख हुआ है। अस्तु प्रश्न यह है कि पंचभूतवाद (भूतचैतन्यवाद) से भिन्न तज्जीवतच्छरीरवाद का निर्देश क्यों? यदि वह किसी अर्थ में पंचभूतवाद से भिन्न न होता 1. S. N. Dasgupta, History of Indian Philosophy, Vol. III, p. 522.
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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