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________________ 36. 37. 38. 39. 40. 41. 42. 43. 44. 45. 46. 47. 48. 49. 50. 51. 52. 53. 54. 1950, पृष्ठ 474. डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, जैन- समाज का वृहद् इतिहास, प्रथम खण्ड, प्रथम संस्करण, जैन इतिहास प्रकाशन संस्थान, जयपुर, 1992, पृष्ठ 4. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैनधर्म, पृष्ठ 26. वही, पृष्ठ 39; एवं डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, जैन समाज का वृहद् इतिहास, प्रथमखण्ड, पृष्ठ 7. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैनधर्म, पृष्ठ 39-40. डॉ. कस्तूरचन्द्र कासलीवाल, जैन- समाज का वृहद् इतिहास, प्रथम खण्ड, पृष्ठ 6. डॉ. बृजकिशोर शर्मा, पर्सपेक्टिपस ऑन मॉर्डन इकोनॉमिक एण्ड सोशल हिस्ट्री, पॉइन्टर पब्लिशर्स, जयपुर, 1999, पृष्ठ 220-229. डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, राजस्थान के जैन सन्त : व्यक्तित्व एवं कृतित्व, जयपुर, 1990, पृष्ठ 6. 1971 की जनगणना रिपोर्ट से संकलित. इस मन्दिर के आस-पास के आदिवासी भील - जनसंख्या बहुतायत से रहती है। वे इसकी पूजा 'कालाजी बापजी' के नाम से करते हैं। मूर्ति काले रंग के पत्थर की है। विस्तृत जानकारी हेतु देखें- - डॉ. बृजकिशोर शर्मा, पर्सपेक्टिअस ऑन मॉर्डन इकोनॉमिक एण्ड सोशल हिस्ट्री, पृष्ठ 59. डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, जैन समाज का वृहद् इतिहास, खण्ड- एक, पृष्ठ 5-6. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैनधर्म, पृष्ठ 43-44. डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, जैन समाज का वृहद् इतिहास, खण्ड-एक, पृष्ठ 9. वही. इस संघ में 12,000 जैन - साधु सम्मिलित थे। आर.एस. आयंगर स्टडीज इन साउथ इण्डियन जैनिज्म, मद्रास, 1922, पृष्ठ 105-106. विलास ए. सांगवे, पूर्वाक्त, पृष्ठ 14. वही, पृष्ठ 15. भारत की जनगणना रिपोर्ट 1981 से संगणित. डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, जैनधर्म का वृहद् इतिहास, पृष्ठ 8. 0022 ܀܀ भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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