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________________ 15. आचार्ग, 20. 21. 6. डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, खण्डेलवाल-जैन-समाज का वृहद् इतिहास, पृष्ठ 2. 7. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैनधर्म, पृष्ठ 13. 8. डॉ. कस्तूरचन्द्र कासलीवाल, खण्डेलवाल-जैन-समाज का वृहद् इतिहास, पृष्ठ 3. ___ आचार्य जिनसेन, आदिपुराण, प्रथम भाग, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन. 10. - पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैनधर्म, पृष्ठ 14-15. 11. आचार्य जिनसेन, हरिवंशपुराण, पृष्ठ 1. 12. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैन-साहित्य का इतिहास, पृष्ठ 67. 13. वही, पृष्ठ 67-84. 14. डॉ. कस्तूरचन्द्र कासलीवाल, खण्डेलवाल-जैन-समाज का वृहद् इतिहास, पृष्ठ 3. आचार्य गुणभद्र, उत्तरपुराण, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, पाँचवाँ संस्करण, 1986. 16. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैनधर्म, पृष्ठ 16-17. 17. डॉ. संजीव भानावत, सांस्कृतिक चेतना और जैन-पत्रकारिता, सिद्धश्री प्रकाशन, जयपुर, पृष्ठ 9. 18. आचार्य गुणभद्र, उत्तरपुराण, पृष्ठ 429. 19. वही. वही, पृष्ठ 429-443. वही, पृष्ठ 429, 'उत्तर-पुराण' में लिखा है कि "हे देव! अन्य तीर्थकरों का माहात्म्य प्रकट नहीं है, परन्तु आपको माहात्म्य-अतिशय प्रकट है; इसीलिये आपकी कथा अच्छी तरह कहने के योग्य है। आचार्य कहते हैं कि हे प्रभु! चूंकि आपकी धर्मयुक्त कथा कुमार्ग का निवारण और सन्मार्ग का प्रसारण करनेवाली है। अतः मोक्षगामी भव्य-जीवों के लिये उसे अवश्य कहूँगा।' 22. बिजोलिया (राज.) में प्राचीन पार्श्वनाथ का मन्दिर आज भी विद्यमान है। इसी मन्दिर में संवत् 1226 का एक विस्तृत शिलालेख उपलब्ध है, जिसमें उनके कैवल्य-प्राप्ति की कथा का पूर्ण विवरण है। पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैनधर्म, पृष्ठ 18... पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैन-साहित्य का इतिहास, पृष्ठ 106. विलास ए. सांगवे, जैन कम्यूनिटी : ए सोशल सर्वे, पापुलर प्रकाशन, बाम्बे, सैकण्ड रिवाइज्ड एडीशन, 1980, पृष्ठ 47 एवं 359. 26. वही, पृष्ठ 359-60. 27. ए.सी. सेन, स्कूल्स एण्ड सेक्टस इन जैन-लिटरेचर, कलकत्ता, 1931, पृष्ठ 43. श्वेताम्बर-मान्यता के अनुसार महावीर की माता त्रिशला चेटक की बहिन थीं। वही, पृष्ठ 143. 30. वही, पृष्ठ 125-35. 31. डॉ. संजीव भानावत, सांस्कृतिक-चेतना और पत्रकारिता, पृष्ठ 10. 32. यू.डी बारोडिया, हिस्ट्री एण्ड लिटरेचर ऑफ जैनिज्म, बाम्बे, 1909, पृष्ठ 40; तथा आर. आर. दिवाकर, बिहार श्रू दी एजेज, कलकत्ता, 1959, पृष्ठ 127. 33. जे.सी. जैन, लाइफ इन एशीयेंट इण्डिया एज डेपिक्टेड इन जैन केनन, बाम्बे, 1947, पृष्ठ 25. 34. "चोयति-संग-संतिकं तुरियं उपादयति" -हाथीगुम्फा-अभिलेख. 35. एच. जैकोबी, इन्साइकलोपीडिया ऑफ रीलिजन एण्ड ऐथिक्स, जिल्द सात, अहमदाबाद, भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ 0021
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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