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________________ उल्लेख मिलता है, जो मानसिंह के समय बंगाल के मुख्यमंत्री थे । नानूगोधा ने उस समय बंगाल में 84 मन्दिरों का निर्माण कराया, इससे यह स्पष्ट है कि उस समय भी वहाँ जैन समाज बड़ी संख्या में रहता था। 40 बंगाल में अंग्रेजी राज्य की स्थापना के पूर्व ही मारवाड़ी जैन - व्यापारी बंगाल में पर्याप्त संख्या में मौजूद थे। अंग्रेजी - राज्य की स्थापना में सहायक होने के कारण मारवाड़ी - जैन- व्यापारियों का जमावड़ा बंगाल में हुआ। 41 पिछले 200 वर्षों से बंगाल व आसाम के क्षेत्रों में राजस्थान से मारवाड़ी - समाज व्यवसाय के लिये जाता रहा है। अतः 20वीं सदी में बंगाल व आसाम के क्षेत्रों में जैनधर्म के अनुयायी पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं। गुजरात के साथ जैनधर्म का प्राचीन सम्बन्ध है। जैनियों का प्रसिद्ध सिद्धक्षेत्र 'गिरनार' पर्वत 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ का निर्वाण स्थल है। महावीर के पश्चात् आचार्य धरसेन उसी गिरनार पर्वत की गुफा में रहते थे और उन्होंने दक्षिण भारत से भूतबलि एवं पुष्पदन्त नामक मुनि-युगल को आगम - साहित्य का अवशिष्ट ज्ञान - लाभ देने के लिये बुलाया था। मुस्लिम - काल में भी भट्टारक- परम्परा का सबसे अधिक विकास सूरत, भरूच, नवसारी, पोरबन्दर, मेहसाना जैसे नगरों में हुआ था। 42 वर्तमान में कानजी स्वामी ने 'सोनगढ़' (सौराष्ट्र) को अपना कार्यक्षेत्र बनाया और गुजरात में बहुत से दिगम्बर जैन मन्दिरों का नव-निर्माण करवाया। जैन - समुदाय की जनसंख्या की दृष्टि से गुजरात का भारत में तीसरा स्थान है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि 1971 की जनगणना के अनुसार जैन- जनसंख्या का विवरण निम्नांकित सारणी के अनुसार था+3 सारणी क्र.सं. राज्य का नाम 1. राजस्थान 2. गुजरात 3. महाराष्ट्र 4. दिल्ली मध्यप्रदेश 5. 6. 7. 8. 9. मैसूर दादरा एवं नागर-हवेली चंडीगढ़ हरियाणा कुल जनसंख्या का जैन प्रतिशत 1.99 1.69 1.40 1.24 0.83 0.75 0.41 0.39 0.31 उपरोक्त सारणी से स्पष्ट है कि सम्पूर्ण भारत में जैन समाज फैला हुआ है। जैनधर्म के विस्तार की दृष्टि से 'राजस्थान' का नाम अग्रणी माना जा सकता है। भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ 00 15
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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