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________________ मध्य भारत में शासक : भारत के स्वतंत्रता के पश्चात् भारत के शासन में बाबू तख्तमल जैन मुख्यमंत्री के नेतृत्व मंत्रिमण्डल का गठन हुआ, जिसमें श्री मिश्रीलाल गंगवाल, श्री श्यामलाल पाण्डीव, सौभाग्यमल जी जैन आदि आठ जैन मंत्री प्रमुख-प्रमुख विभागों को देखते थे। इन्दौर में कांग्रेस के विशाल अधिवेशन में भारत के प्रधानमंत्री जी जवाहरलाल नेहरू जी के विश्वासपात्र बाबू तख्तमल जी, मिश्रीलाल गंगवाल आदि अधिवेशन के प्रमुख व्यक्तियों में रहे। श्री बाबूलाल पाटौदी कांग्रेस-कार्यालय की देखभाल करते थे। जैन-समाज की गतिविधियों में सभी जैन-मंत्री अग्रसर होकर सहयोग प्रदान करते रहे। धर्मादा ट्रस्ट बिल : सरकार द्वारा लोकसभा में धर्मादा ट्रस्ट बिल प्रस्तुत किया गया, जिस पर चर्चा होने के बाद इसमें 30 सांसद-सदस्यों की उपसमिति गठित कर, उसे अधिकार दिया गया कि वे सभी धर्मों के द्वारा दिये गये ज्ञापन के प्रतिनिधियों को बुलाकर जानकारी प्राप्त करें। उन्होंने इस सम्बंध में जैन-समाज के प्रतिनिधिमण्डल को बुलाकर समस्त जानकारी प्राप्त की। प्रतिनिधिमण्डल में डॉ. एस. सी. किशोर, श्री भगतराम जैन, श्री एस. एस. मोदी, श्री विजय कुमार सिंह नाहर, श्री लक्ष्मीचन्द जैन, श्री नरेन्द्र सिंघवी, श्री मोतीचन्द वीरचन्द गांधी, श्री पोपटलाल रामचन्द्र गांधी, श्री राजेन्द्र कुमार जैन ने भाग लिया। प्रतिनिधिमण्डल की माँगों को उन्होंने स्वीकार कर जैन-समाज को इस एक्ट से मुक्त कर दिया, जिससे समाज को बड़ा लाभ पहुंचा। सोनगढ़ (गुजरात) में दिगम्बर जैन-परमागम का विशाल मन्दिर : आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी के मूल-ग्रंथ, जो दिगम्बर जैन-आम्नाय-आगम के हैं, समयसार, प्रवचनसार, पंचास्तिकायसंग्रह, नियमसार, परमागम (मूलगाथा) मशीन के द्वारा संगमरमर के शिलापट उत्कीर्ण कराकर दीवारों में लगाये गये हैं। प्रत्येक द्वार की खिड़कियाँ संगमरमर के उत्कीर्ण कतिपय तीर्थंकरों के वैराग्य एवं दीक्षा आदि के पुरुषार्थ-प्रेरक भव्य प्रसंग तथा तीर्थ-क्षेत्रों के अतिमनोहर चित्र हैं। यह परमागम मन्दिर तीन रमणीय शिखरों से सुशोभित हैं। बड़े शिखर की ऊँचाई 80 फीट है, इस मन्दिर की रचना बहुत ही भव्य एवं अद्वितीय है। इसके अतिरिक्त श्री कानजी स्वामी की प्रेरणा से पूरे गुजरात में 100 से अधिक दिगम्बर-जैन-मंदिरों का भव्य-निर्माण हुआ है। इसके अतिरिक्त इन्दौर का काँच मन्दिर, अजमेर की नशियांजी, खजुराहो का पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन-मन्दिर, श्रवणबेलगोला की भगवान बाहुबलि जी की विशाल मूर्ति एवं मूडबिद्री में हीरे-पन्नों की मूर्तियाँ भगवान् श्री सहस्राफणी पार्श्वनाथ का वीजापुर का दुर्ग-मन्दिर शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है। तीर्थयात्रियों को इन विशाल मन्दिरों के अवश्य ही दर्शन करने चाहिये। तमिलनाडु के क्षेत्र में कई विशाल मन्दिर हैं। आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी के चरण इस ही प्रदेश में पोन्नूरमलै-क्षेत्र पर हैं। यहाँ गावों में निवास करने वाले 10164 भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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