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________________ सम्पादकीय समादरणीय डॉ. त्रिलोक चन्द जी कोठारी का शोधपरक कार्य वर्तमान परिस्थितियों में अत्यन्त समसामयिक एवं युग की माँग के अनुरूप था। तथा उन्होंने वृद्धावस्था में भी अपार श्रम करके अध्ययन और जीवन के अनुभवों का सामंजस्य बनाते हुये अत्यन्त व्यापक सामग्री एकत्रित की थी। वर्तमान युग की वैज्ञानिक-संपादन-विधि के अनुरूप उसको यदि एक संस्करण में प्रकाशित किया जाता, तो उसका आकार अत्यन्त विशाल हो जाता, तथा वह व्यावहारिक रूप से उतना उपयोगी नहीं रहता। इसीलिये उनके इस महनीय कार्य के समान-विषयों का वर्गीकरण करके उन्हें अलग-अलग कृतियों के रूप में प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया। इस श्रृंखला में यह प्रथम संस्करण प्रकाशित होने जा रहा है। इसमें वस्तुतः जैनधर्म और उसकी परम्परा के प्राचीनकाल से अब तक के महत्त्वपूर्ण विषयों का संक्षिप्त किंतु प्रामाणिक रूप से प्रस्तुतीकरण हुआ है। फिर भी, वर्तमान युग में जो जैनधर्म, संस्कृति एवं समाज के संस्थागत स्वरूप हैं, जिनमें विभिन्न मुनिसंघों और उनके अद्यावधि-पर्यन्त के मुनिवरों का परिचय एवं योगदान, वर्तमान विद्वानों का परिचय एवं योगदान, जैन-सामाजिक-संस्थाओं का परिचय एवं अवदान, जैन-प्रकाशन संस्थाओं का परिचयात्मक मूल्यांकन, तथा जैनदर्शन एवं साहित्य की विविध विधाओं के बारे में शोधपरक प्रामाणिक-लेखन, अनुसंधान, मौलिक-सृजन आदि की दृष्टि से जो उल्लेखनीय कार्य हुये हैं और हो रहे हैं, उन सभी का परिचय देने वाली पुस्तक आगामी संस्करण के रूप में प्रकाशित की जायेगी। इस संस्करण में जितने इन उपर्युक्त संदर्भो में उल्लेख आये हैं, वे संकेत-मात्र हैं। अतः उनके बारे में इसे परिपूर्ण नहीं मानना चाहिये। प्रासंगिकता के कारण उनका संक्षिप्त उल्लेख हुआ है, तथा जिज्ञासु पाठक-वर्ग से इन विषयों में आगामी संस्करण की प्रतीक्षा के अनुरोध के साथ इस संस्करण को यहाँ सीमित किया जा रहा है। विषय के अति-विस्तार को शब्दों की सीमा में बाँधना अत्यन्त कठिन कार्य है, और उसे यहाँ मूर्तरूप प्रदान करने का यथासंभव प्रयत्न किया गया है। मैं विद्वान् लेखक को उनके इस भगीरथ-प्रयत्न के लिये हार्दिक बधाई और साधुवाद देता हूँ, तथा प्रकाशन-संस्थान के द्वारा इसके गरिमापूर्ण प्रकाशन की जो व्यवस्था की गई है, तदर्थ उनकी भी हार्दिक अनुशंसा करता हूँ। --डॉ. सुदीप जैन 00xiil भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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