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________________ पल्लीवाल- जाति के थे। इनका गोत्र 'गंगटीवाल' था, पर प्रायः लोग इनहें 'फतेहपुरी' कहा करते थे। इनका जन्म वि. सं. 1855 या 1856 के मध्य हुआ था। इनकी दो रचनायें उपलब्ध हैं 1. छहढाला, और 2. पदसंग्रह | - कवि पण्डित जयचन्द छाबड़ा हिन्दी जैन - साहित्य के गद्य-पद्य लेखक विद्वानों में पण्डित जयचन्द जी छाबड़ा का नाम उल्लेखनीय है । कवि का जनम 'फागी' नामक ग्राम में हुआ था । यहाँ आपके पिता 'मोतीरामजी' पटवारी का काम करते थे। जयचन्द जी का स्वभाव सरल और उदार था। उनका रहन-सहन और वेश-भूषा सीधी-सादी थी। वे बड़े अच्छे विद्याव्यसनी थे। इनके पुत्र का नाम 'नन्दलाल' था, जो बहुत ही सुयोग्य विद्वान् था। पण्डित जयचन्द जी का समय वि. सं. की 19वीं शती है। इन्होंने निम्नलिखित ग्रन्थों की भाषा - वचनिकायें लिखी हैं. 1. सर्वार्थसिद्धि वचनिका, 2. तत्त्वार्थसूत्रभाषा, 3. प्रमेयरत्नमाला टीका, 4. स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा, 6. द्रव्यसंग्रह - टीका, 7. देवागमस्तोत्र - टीका, 8. अष्टपाहुड भाषा, 9. ज्ञानार्णव- भाषा, 10. भक्तामर - स्तोत्र, 11. पद - संग्रह, 12. चन्द्रप्रभचरित्र, एवं 13. धन्यकुमारचरित्र । - कवि दीपचन्दशाह दीपचन्दशाह वि. के 18वीं शताब्दी के प्रतिभावान विद्वान् और कवि हैं। ये सांगानेर के रहनेवाले थे। कवि दीपचन्द का गोत्र कासलीवाल था । इनकी भाषा दूढ़ारी और व्रजमिश्रित है। इनके द्वारा रचित कृतियाँ हैं चिद्विलास, अनुभवप्रकाश, गुणस्थानभेद, आत्मावलोकन, भावदीपिका, परमार्थपुराण; तथा ये रचनायें गद्य में लिखी गयी हैं। अध्यात्म-पच्चीसी, द्वादशानुप्रेक्षा, ज्ञानदर्पण, स्वरूपानन्द, एवं उपदेशसिद्धान्त । - कवि सदासुख कासलीवाल वि. की 19वीं शती के विद्वानों में पण्डित सदासुख कासलीवाल का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म वि. सं. 1842 में जयपुरनगर में हुआ था। इनके पिता का नाम 'दुलीचन्द' और गोत्र कासलीवाल था । इनका जन्म डेडराजवंशी में भगवतीहुआ था। इनका समाधिमरण वि. सं. 1923 में हुआ । इनकी रचनायें हैं आराधना वचनिका, सूत्रजी की लघुवचनिका, अर्थ- प्रकाशिका का स्वतन्त्र - ग्रन्थ, अकलंकाष्टक वचनिका, रत्नकरंड श्रावकाचार वचनिका, मृत्युमहोत्सव वचनिका, नित्यनियम पूजा, समयसार नाटक पर भाषा वचनिका, न्यायदीपिका वचनिका, एवं ऋषिमंडलपूजा वचनिका । ☐☐ 9'0 - कवि पण्डित भागचन्द 19वीं शताब्दी के अन्तिम पाद और 20वीं शब्दी के प्रथम पाद के प्रमुख भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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