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________________ महाकवि असग ___ कवि के पिता का नाम 'पटुमति' और माता का नाम 'वैरेति' था। गुरु का नाम 'नागनन्दि आचार्य' लिखा है। कवि का समय ई. सन् की 10वीं शताब्दी है। कवि की दो महाकाव्य रचनायें प्राप्त हैं - 1. वर्द्धमानचरित, और 2. शान्तिनाथ-चरित। महाकवि हरिचन्द्र इनके पिता का नाम 'आर्द्रदेव' और माता का नाम 'रव्यादेवी' था। इनकी जाति कायस्थ थी, पर ये जैनधर्मावलम्बी थे। हरिचन्द्र का व्यक्तित्व कवि और आचारशास्त्र के वेत्ता के रूप में उपस्थित होता है। महाकवि हरिचन्द्र की दो रचनायें उपलब्ध हैं - 1. धर्मशर्माभ्युदय, एवं 2. जीवन्धरचम्पू। कवि चामुण्डराय चामुण्डराय 'वीरमार्तण्ड', 'रणरंगसिंह', 'समरधुरन्धर' और 'वैरिकुलकालदण्ड' होने पर भी कलाकार एवं कलाप्रिय हैं। इनकी माता का नाम 'कालिकादेवी' बतलाया गया है और समझा जाता है कि इनके पिता तथा पूर्व गंगवंश के श्रद्धाभाजन राज्याधिकार रहे होंगे। वे महाराज मारसिंह तथा राजमल्ल द्वितीय के प्रधानमंत्री थे। इनका वंश 'ब्रह्मक्षत्रियवंश' बताया गया है।54 इन्होंने श्रवणबेलागोल में बाहुबलि स्वामी की मूर्ति की प्रतिष्ठा ई. सन् 981 में की है। चामुण्डराय का समय ई. सन् की दशम शताब्दी है। _ 'चामुण्डरायपुराण' अपरनाम 'त्रिषष्ठिपुराण' है। यह ग्रन्थ कन्नड़गद्य का सबसे प्रथम ग्रन्थ है। आचारशास्त्र का संक्षेप में स्पष्टरूप से वर्णन इस ग्रन्थ में संस्कृत के गद्यरूप में प्रस्तुत किया गया है। महाकवि आशाधर __महाकवि आशाधर जैनाचार, अध्यात्म, दर्शन, काव्य, साहित्य, कोष, राजनीति, कामशास्त्र, आयुर्वेद आदि सभी विषयों के प्रकाण्ड पण्डित थे। आशाधर माण्डलगढ़ (मेवाड़) के मूलनिवासी थे; किन्तु मालवा की राजधानी 'धारा' नगरी में अपने परिवार सहित आकर बस गये थे। पं. आशाधर बघेरवाल-जाति के श्रावक थे। इनके पिता का नाम 'सल्लक्षण' एवं माता का नाम 'श्रीरत्नी' था। 'सरस्वती' इनकी पत्नी थीं, जो बहुत सुशील और सुशिक्षिता थीं। इनके पुत्र भी था, जिसका नाम 'छाहड़' था। इनके विद्यागुरु प्रसिद्ध विद्वान् ‘पं. महावीर' थे। आशाधर का समय विक्रम की तेहरवीं शती निश्चित है। अभी तक उनकी निम्नलिखित रचनाओं उल्लेख मिले हैं – प्रमेयरत्नाकर, भरतेश्वराभ्युदय, ज्ञानदीपिका, राजीमतिविप्रलंभ, अध्यात्मरहस्य, मूलाराधना टीका, इष्टोपदेश टीका, भूपालचतुर्विशति का टीका, आराधनासार टीका अमरकीटाश टीका, क्रियाकलाप, 1082 भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ
SR No.032426
Book TitleBhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokchandra Kothari, Sudip Jain
PublisherTrilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan
Publication Year2001
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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