SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४६ अलबेली आम्रपाली धनुष्य धारण कर नीचे आया। उसकी वृद्ध परिचारिकाएं जोर-जोर से रो रही थीं । श्यामा भी त्रैलोक्यसुन्दरी के पास खड़ी खड़ी सुबक सुबक कर रो रही थी । आचार्य अग्निपुत्र भी आ गए थे और वे सबके सामने महाराज को उपालंभ दे रहे थे । सभी लोगों ने महाराज कुमार का जयनाद किया । मन कितना ही कठोर क्यों न हो जाये, जन्मभूमि को छोड़ते समय वह अत्यन्त चंचल हो जाता है । बिम्बिसार का हृदय भी टूक-टूक होने लगा। उसने धैर्य के साथ वहां से प्रस्थान किया, पर आंखें डबडबा आईं । १० शंबुक वन में fafaसार को विदा देकर महाराज प्रसेनजित ने अत्यन्त शान्ति का अनुभव किया । जिसको महाराज स्वयं इनकार नहीं कर सकते, जिसके प्रति महाराज अन्यन्त मुग्ध हैं वह त्रैलोक्यसुन्दरी अब श्रेणिक का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगी। इस बात का पूर्ण सन्तोष अब मगधेश्वर अनुभव कर रहे थे । फिर भी अपने मन को और अधिक दृढ़ करने के लिए वे आचार्य अग्निपुत्र को लेकर अपने निवास पर आये । वहां सभी रानियां और राजपुरुष महाराज को सान्त्वना देने के लिए एकत्रित हुए थे । वे जानते थे कि बिबिसार के देश- निष्कासन से मगधेश्वर के हृदय पर बहुत आघात लगा है । महाराज अपने महल में आए और एक विशेष खण्ड में आकर अपने विशेष प्रतिहार से कहा - " मेरी आज्ञा के बिना कोई भीतर न आने पाए ।” "जी", कहकर महाप्रतिहार चला गया । एक आसन पर बैठते हुए आचार्य अग्निपुत्र बोले- "महाराज ! आपको मैं धन्यवाद देता हूं । आपने यह कार्य सहज और उत्तम रूप से सम्पादित किया है । अब आप निश्चित रहें । जब बिंबिसार लौटेंगे तब अनेक अनुभव साथ लाएंगे ।" " आचार्य ! आपके मार्गदर्शन से मेरा कार्य सहज हो गया है । बिंबिसार स्वयं दक्ष है, वीर है, उसके सम्बन्ध में मुझे कोई चिन्ता नहीं है । किन्तु एक प्रश्न मेरे मन को बार-बार कुरेद रहा है ।" "कौन-सा प्रश्न ?" "दुर्दम को मगधेश्वर बनाने के लिए अब रानी और अधिक आग्रह करेगी ।" " आपके जीवित रहते ऐसा होना असम्भव है । आप सदा प्रेम से रानी की
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy