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________________ २८ अलबेली आम्रपाली करेंगे और हमारे कुमार के लिए भी मार्ग साफ हो जाएगा। आपके वचन का भी पालन हो जाएगा।" "और फिर मेरी प्रियतमा सदा ऐसी ही प्रसन्न रहेगी।"-महाराज ने कहा। रानी ने दोनों हाथ फूलों की माला की भांति राजा के गले में डाल दिये। जो पुरुष यौवन अवस्था को पूर्ण रूप से पचा नहीं पाते, अथवा शरीर-सुख को ही आत्यन्तिक सुख मान लेते हैं वे पुरुष उत्तरावस्था में और अधिक पागल और उन्मत्त हो जाते हैं। क्योंकि यौवन का अस्तकाल उनको चुभता रहता है। और वे पुरुष यौवन की मादकता को सुरक्षित रखने के लिए उत्तेजक और वाजिकरण औषधियों का आश्रय लेते हैं। जिस अवस्था में त्याम और संयम जीवन का अमृत होना चाहिए उस अवस्था में भोग की अग्नि और अधिक भभक उठती है। राजा प्रसेनजित बलवान्, तेजस्वी और उदारचरित थे। उनके अन्तःपुर में शताधिक रानियां थीं और यौवनमद से मदमाती अनेक दासियां भी थीं। परन्तु। __ यथार्थ में यौवन अन्धा होता है। जो इस अंधेपन को नहीं समझता उसकी उत्तरावस्था अन्धकारमय बन जाती है। उदित होते हुए सूर्य की बाल किरणें पूर्वी वातायन से प्रवेश कर रही थीं। और द्वार खटखटाने की ध्वनि सुनाई पड़ी। रानी ने पूछा--"कौन है ?" "महादेवी ! महाराज कुमार आपसे मिलने आए हैं। वे आपके विश्राम गृह में आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।" ___ "ठीक है..., तू जा । मैं और महाराज अभी वहां आ रहे हैं", रानी ने मुख्य परिचारिका से कहा। फिर रानी ने महाराज की ओर देखकर कहा-"भावी मगधेश्वर को आशीर्वाद देने पधारें. 'आज वैशाख का प्रथम दिन है।" "चलो", कहकर प्रसेनजित खड़े हुए। त्रैलोक्यसुन्दरी ने अपने अस्त-व्यस्त वस्त्रों को ठीक किया और फिर दोनों खंड से बाहर आए और रानी के विश्राम-गृह में गये । रानी का एक ही पुत्र, अत्यन्त लाड़-प्यार में पला-पुसा पुत्र एक आसन पर बैठा था । वह कुछ दुर्बल-सा था। उसकी आंखें लाल थीं। देखने वाले को ऐसा प्रतीत होता था कि इस युवक राजकुमार ने सारी रात जागते बिताई है। ___ माता-पिता को खंड में प्रविष्ट होते देख, कुमार उठा और दोनों के चरणों में झुक गया। माता ने पुत्र के मस्तक पर हाथ रखकर कहा-"वत्स, सौ वर्ष तक जीयो और समूचे भारत का राज्य वरण करो।"
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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