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________________ ३१६ अलबेली आम्रपाली आम्रपाली मौन रही । उसके दोनों हाथ प्रियतम की गरदन की माला बने हुए थे और वे कुछ आकांक्षा लिये हुए थे । नारी की अव्यक्त आकांक्षा'। इतने में ही द्वार के परदे के पीछे से माध्विका का मंजुल स्वर सुनाई दिया"महादेवि !" आम्रपाली तत्काल प्रियतम का हाथ पकड़कर शय्या की ओर जाती हुई बोली- - "अन्दर आ जा माधु !" माविका ने परदा हटाकर कक्ष में प्रवेश किया। उसके पीछे-पीछे दो परिचारिकाएं आ रही थीं एक के हाथ में मैरेय का स्वर्ण कुम्भ था दूसरी के हाथ में मैरेयपान के पात्र और पुष्पमालाएं थीं । मात्रिका ने सारी सामग्री एक त्रिपदी पर रखवा दी। बिबिसार को लेकर आम्रपाली एक गद्दी पर बैठी थी । वीणा कुछ दूर पड़ी थी माविका ने निकट आकर झुककर कहा - "देवि ! मैरेय ।" "भोजन के थाल तैयार कर पास वाले खंड में ले आना ।" 'जी' कहकर माविका चली गयी। दोनों परिचारिकाएं भी खंड से बाहर निकल गयीं । द्वार पर सुन्दर और कलात्मक सुनेरी परदा लटक रहा था । fafबसार ने आम्रपाली का एक हाथ अपने दोनों हाथों में लेकर कहा"प्रिये ! जब तक तू मेरे अपराध को नहीं बताएगी अथवा अपने रोष का कारण नहीं कहेगी, तब तक मन अशांत ही रहेगा ।" आम्रपाली ने कहा - "नंदा के साथ विवाह करके भी आपने मुझे नहीं बताया ''क्या आपको यह संदेह था कि मैं इसमें बाधक बनूंगी ?" ffसार जोर से हंस पड़ा। उसने हंसते-हंसते कहा - "प्रिये ! जीवन में ऐसा समय भी आता है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती और ऐसेऐसे अकस्मात् भी सृष्ट हो जाते हैं कि जिनका स्वप्न भी नहीं लिया जा सकता... कहां उज्जयिनी कहां मगध कहां वैशाली कहां नंदा कहां तू और कहां मैं? परन्तु यहां से वहां जाने के पश्चात् ..." बिंबिसार ने उज्जयिनी में घटित सारी घटना संक्षेप में बताई । .. "नंदा का क्या हुआ ?" "उसके कोई समाचार नहीं हैं, परन्तु मुझे लगता है कि प्रसूति के समय कुछ अनिष्ट घटित हुआ है. अन्यथा पिता तुल्य धनपत सेठ संदेश भेजे बिना नहीं रह सकते।" "क्या राजगृही पहुंचने के पश्चात् आपने कोई सन्देश भेजा था ?" "नहीं, प्रिये ! मैं ऐसे झंझट में फंस गया था कि..." बीच में ही आम्रपाली बोल पड़ी - "मेरे रोष का कारण पुरुष के इसी
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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