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________________ अलबेली आम्रपाली २०१ " राजवैद्य ने मगधेश्वर का परीक्षण किया है, वृद्ध पुरुष का नहीं। मैंने अपने पिता या मगधेश्वर का परीक्षण नहीं किया है, एक वृद्ध पुरुष का परीक्षण किया है ।" जीवक ने कहा । " रोग क्या है ?" "बुढ़ापे का स्वभाव और जीवनीशक्ति का अभाव । और कोई रोग नहीं है । रोग अवश्य दूर हो सकता है, परन्तु कामाभिमुख मनुष्य जब जरा से आक्रान्त होता है तब रोग स्वाभाविक बन जाता है । उसका प्रतिकार नहीं हो सकता ।" महामंत्री ने दो क्षण मौन रहकर कहा - " मैंने सुना है कि आप कायाकल्प के विज्ञान में निष्णात बने हैं ।" " कायाकल्प का प्रयोग वहीं सफल होता है जहां ब्रह्मचर्य और सदाचार का जीवन होता है । मगधेश्वर में इसका अभाव है । परन्तु ।" "क्या ?" "इन पर कोई औषधि असर नहीं करेगी ।" " कुमार ! चार-छह महीनों तक कोई बाधा न आए ऐसा..।" बीच में ही कुमार ने कहा - " कल से मैं इन पर एक प्रयोग करूंगा । उससे एक वर्ष तक शय्या में स्वस्थ रह सकेंगे ।" "इतना हो जाए तो भी अच्छा। मुझे आज ही श्रेणिक को बुलाने धनंजय को भेजना पड़ेगा ।" कहकर मंत्रीश्वर विचार में मग्न हो गए । ५८. राजगृही का निमन्त्रण कुमार जीवक की बात सुनकर महामंत्री ने श्रेणिक को बुला लेने का मन-ही-मन निर्णय कर डाला और वे इस विषय की चर्चा करने तत्काल मगधेश्वर के पास गए । मगधेश्वर के पास रानी त्रैलोक्यसुन्दरी आठों प्रहर बैठी ही रहती थी । परन्तु महामंत्री की प्रार्थना पर उसे खंड से बाहर जाना पड़ा। खंड के बाहर जाने के पश्चात् रानी के मन में संशय तो जागा कि महामंत्री मेरे से गुप्त ऐसी क्या बात करना चाहते हैं ? रानी के मन में एक श्रद्धा तो थी कि मगधेश्वर से सारी बात जानी जा सकेगी। महामंत्री ने शान्त भाव से मगधेश्वर से कहा - "कृपावतार ! अब युवराज श्रेणिक को बुला लेना ही उचित लगता है । आपका रोग कब क्या परिणाम लाये, कुछ कहा नहीं जा सकता । जीवक समर्थ वैद्य हैं, पर वे भी अवस्था के प्रभाव को दूर कर पाएंगे या नहीं, यह संशय है । आप आज्ञा करें तो मैं युवराज को बुला " "मुझे भी यह विचार बार-बार आता रहा है। श्रेणिक को शीघ्र बुला लो ।
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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