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________________ २० अलबेली आम्रपाली वैशाली नमरी का प्रत्येक बाजार सुसज्जित और शृंगारित होगा। उस दिन वैशाली की सर्वश्रेष्ठ सुन्दरी जनपदकल्याणी के पद पर प्रतिष्ठित होगी।" सारी सभा ने जनपद कल्याणी का जयनाद किया। सभा सम्पन्न हुई। ४. प्रसेनजित की चिन्ता चैत्र मास के अन्तिम पन्द्रह दिनों से गर्मी का प्रकोप इतना असह्य हो गया था कि राजगृह की जनता त्रस्त हो गई थी। कल वैशाख का प्रथम सूर्योदय होगा। परन्तु लोगों को यही प्रतीत हो रहा था कि वैशाख मास अत्यन्त ताप और उष्णता से भरापूरा बीतेगा। राजगृह नगर में अनेक श्रीमंत निवास करते थे । प्रत्येक के भवन के सामने उपवन थे। वातानुकूलित गृह थे । परन्तु प्रकृति की उष्मा को रोकने में वे सब असमर्थ थे। ___ नगर का निर्माण विशिष्ट शिल्पियों ने किया था। वहां सारी अनुकूलताएं थीं । भयंकर दुष्काल में भी जनता को पानी की कमी न रहे, इसलिए नगर के चारों ओर जलकुंड बनाए गए थे। बारहमासी नदियां भी कभी सूख जाती हैं, पर ये जलकुंड पानी से कभी रिक्त नहीं होते थे। नगरी रंगभरी बन चुकी थी। प्रवासी लोग राजगृह को देखकर कहते"यह नगरी वैशाली की विस्मृति कराने वाली है।" किन्तु आज'। मगध की यह समृद्ध नगरी भी चैत्र की अमावस्या की मध्यरात्रि में भी अंगारे बरसा रही थी। नगरी की कलाकुशल नर्तकियां भी अपना नृत्य बंद कर अपने भवन के वातानुकूलित गृह में विश्राम कर रही थीं। किन्तु वैभारगिरि के उत्तर में राजधानी से लगभग तीन कोश की दूरी पर एक आश्रम था। वहां ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उष्मा नाम की कोई चिन्ता वहां व्याप्त नहीं थी। आश्रम के चारों ओर बड़े-बड़े वृक्ष थे। हवा मंद थी। अंधकार गहरा गया था। वृक्ष पर पक्षी भी उष्मा के स्थान पर शीतल समीर की आशा लिये बैठे थे। किन्तु आश्रम में रहने वाले पुरुष मानो प्रकृति को विस्मृत कर चुके हों, ऐसा लग रहा था। __ मध्यरात्रि में अंधकार को चीरता हुआ एक रथ आश्रम में प्रविष्ट हुआ। आश्रम के प्रांगण में एक तख्त पर एक सेवक सो रहा था। रथ की चरमर आवाज सुनकर वह उठा और सामने खड़े रथ की ओर देखा। देखकर वह
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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