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________________ अलबेली आम्रपाली २७५ देख लिया । उसने तत्काल अपनी मुख्य परिचारिका, जो साथ-साथ चल रही थी, से कहा--"देख वह रहा कलाकार जयकीर्ति ! तू उसे लेकर भवन पर आना।" __परिचारिका जयकाति के पीछे चली। कुछ दूर जाने पर, बिंबिसार के कानों पर ये मृदु-कोमल स्वर टकराए--"सेठजी ! जयकीर्तिजी !" __जयकीति चौंका। सोचा, कौन है ? नंदा की कोई सखी तो नहीं है ? जयकीर्ति ने मुड़कर देखा। प्रीतिमती तेजी से आ रही थी। निकट आकर वह बोली-"आपको ढूंढ़ने के लिए हमें बहुत परेशान होना पड़ा है। में प्रतिदिन पांथशाला में जाती थी। सद्भाग्य से आज आप यहां मिल गए।" "देवी तो कुशल हैं न ?" "हां, वे आपको बार-बार याद करती हैं। अभी तो वे महाराजधिराज के प्रासाद में थीं। दो दिन के लिए अपने भवन पर जा रही हैं । आप मेरे साथ चलें।" "प्रीतिमती ! मेरी ओर से तू देवी से क्षमा मांग लेना। उनसे मिलने की बहुत भावना है पर नौकरी कुछ ऐसी है कि मैं आ-जा नहीं सकता । कुछ दिनों बाद अवश्य मिलूंगा।' बिंबिसार ने बात बनाते हुए कहा। प्रीतिमती बहुत देर तक अनुरोध करती रही, परंतु बिंबिसार बहाने बनाता रहा। अन्त में निराश होकर प्रीतिमती चली गई और बिंबिसार भी मुक्ति का श्वास ले अपनी दुकान की ओर चल पड़ा। धनंजय मगध के दो रत्न पुरुषों को लेकर तक्षशिला से लौट रहा था। उसके साथ एक था भारतवर्ष का भावी राजनीतिज्ञ तरुण वर्षाकार और दूसरा था, मगधेश्वर का दासी-पुत्र जीवक । इसने आयुर्वेद के सभी अंगों का पारायण कर डाला था। इसकी कीर्ति सर्वत्र फैल चुकी थी। इसकी प्रतीक्षा मगधेश्वर कर रहे थे। इन दो महान् व्यक्तियों को साथ ले धनंजय साकेत नगरी तक आ गया। ५७. बसन्त की बहार मनुष्य के मन को प्रसन्न-मुग्ध करने की जितनी शक्ति ऋतुराज बसन्त में है उतनी शक्ति अन्य कोई ऋतु में नहीं है। पिउमिलन के लिए तरसने वाले हृदय बसंत की रंगभरी छटा में अनेक स्वप्न संजोते हैं। जिनमें वियोग नहीं, ऐसे नर-नारी की आन्तरिक ऊर्मियां भी रंगीली बन जाती हैं। जो लोग ढलती अवस्था के तट पर खड़े हैं वे भी बसंतऋतु में क्रीड़ित अपनी क्रीड़ाओं की याद कर आत्म-विभोर हो उठते हैं। पशु-पक्षी और मानव हृदय को नचाने वाला ऋतुराज पृथ्वी को प्रेरणा दे
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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