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________________ अलबेली आम्रपाली १७ "तेरी सभी मनोकामनाएं पूरी हों। तू शतायु बनकर कुल का गौरव बढ़ाती ____ आम्रपाली ने पिताजी के चरणों को दोनों हाथों से पकड़कर कहा"बापू ! आज मैं आपके चरणों को पकड़कर यह प्रतिज्ञा करती हूं कि गणतन्त्र जो कुछ भी निर्णय करे, पर मैं..." आम्रपाली अपना वाक्य पूरा नहीं कर सकी। महानाम ने तत्काल उसके दोनों हाथों को पकड़ते हुए कहा-"पुत्री ! प्रतिज्ञा करने में यह उतावलापन क्यों ? गणतन्त्र माता-पिता तुल्य होता है। गणतन्त्र से ही वैशाली की उज्ज्वलता है। तेरी बात सुनने के पश्चात् सम्भव है गणतन्त्र निर्णय न करे अथवा कोई दूसरा निर्णय दे।" __ "पिताश्री ! गणतन्त्र के प्रति आपकी भक्ति का यदि यही पुरस्कार मिलता है तो मुझे प्रतिज्ञाबद्ध होने से क्यों रोकते हैं ? लिच्छवियों का गणतन्त्र यदि इस प्रकार एक नारी की वेदना और व्यथा पर अकड़ रहा है तो वह कब तक टिक पाएगा?' ___"पाली, मैं जानता हूं तेरे हृदय को। किन्तु मुझे एक बार सिंह सेनापति के पास जाने दे।" आम्रपाली मौन हो गई। आम्रपाली सवा लाख स्वर्ण मुद्राओं का दान देने के लिए दानशाला में गई । महानाम स्नान आदि से निवृत्त होकर दिन के प्रथम प्रहर में सिंह सेनापति से मिलने रवाना हुआ। वह सिंह सेनापति से मिला और आत्यन्तिक स्नेह से अभिषिक्त पुत्री आम्रपाली के विषय में जो कुछ कहना था, वह एक ही सांस में कह गया। सिंह सेनापति ने धैर्य के साथ सुना और कहा- "महानाम ! मैं गणनायक हूं, पर गणतन्त्र में गणनायक से भी गणसभा अधिक शक्ति-सम्पन्न होती है। मैं तुम्हारे विचार सभा के समक्ष रखकर जो कुछ सुघटित होगा वैसा ही करने का प्रयत्न करूंगा।" दूसरे दिन । गणसभा का आयोजन । कुत हल और विस्मय से भरे सदस्य एक-एक कर आने लगे। सभा मंडप सदस्यों से भर गया। सौ नहीं, आठ हजार सदस्य थे। सभी अपने-अपने निर्धारित स्थान पर बैठ गए। गणनापक के आने पर सभा की कार्यवाही प्रारम्भ हुई। __ महानाम भी उसी सभा का सदस्य था। उसने अपनी मनोव्यथा प्रस्तुत की। सभी ने गौर से मनोव्यथा सुनी। कुछेक सदस्यों के मन में महानाम की पुत्री आम्रपाली के प्रति सहानुभूति के भाव जागे और कुछेक सदस्य उसको नगरनारी बनाने में आपही बने रहे।
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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