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________________ २२० अलबेली आम्रपाली "जिस रात्रि में शीलभद्र की मृत्यु हुई, उस रात्रि में प्रथम प्रहर के समय शीलभद्र और कादंबिनी को भवन के बाहर जाते हुए एक पथिक ने देखा था।" सिंहनायक चौंके । तत्काल वे बोले- ''यह बात तुमने कब सुनी ?" "कल रात्रि में''। "फिर क्या हुआ ?" "किसको पूछे ? क्योंकि दो दिन पूर्व ही कादंबिनी के सभी स्त्री-पुरुष राजगह की ओर चले गए।" सिंह सेनापति मौन हो गए । वे विचार करने लगे। घड़ी भर मौन रहने के बाद बोले - "सुनंद ! तुम्हारी भारी पराजय हुई।" __ सुनंद आश्चर्यभरी दृष्टि से गणनायक की ओर देखता रहा। गणनायक बोले--महाबलाधिकृत के एकाकी पुत्र की भी जिस रात मृत्यु हुई थी, उसी रात को वह कादंबिनी से मिलने गया था। इसकी खोज भी तुमने की थी ?" "हां, महाराज !" "तो फिर देवी कादंबिनी ही इस षड्यंत्र की मुख्य चाबी होनी चाहिए। मरने वाले मरने से पूर्व इससे मिलते रहे हैं, यह बात स्वयंसिद्ध है। फिर कादंबिनी के अपहरण की घटना भी कृत्रिम होनी चाहिए और यह उसके छिटकने की योजना मात्र है। क्योंकि इतनी खोजबीन करने पर भी उसके अपहरण का कोई चिह्न नहीं मिला, इसलिए मैं मानता हूं कि उसका अपहरण नहीं हुआ । वह इस बहाने पलायन कर गई । मैंने इस नर्तकी को कभी देखा नहीं, किन्तु अब मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूं कि वह अपनी रूप-ज्वाला में यहां के विशिष्ट व्यक्तियों को भस्मसात् करने के लिए ही यहां आई थी और वह तीव्र बुद्धिमती भी होनी चाहिए। वह यहां रही। किसी को भी शंका नहीं हुई। वह अपने सभी स्त्री-पुरुषों को भी सहीसलामत ढंग से खींच ले गई।" "महाराज !" आश्चर्य के साथ सुनंद खड़ा हो गया। "क्यों?" "मैं अभी अपने व्यक्तियों को राजगृह भेजता हूं।" "क्यों ? किसलिए? अब वह हस्तगत नहीं होगी। क्या मेरा यह अनुमान तुम्हें उचित लगता है ?" "हां, महाराज ! अब मुझे सब कुछ स्पष्ट दिखाई दे रहा है।" सिंह सेनापति ने कहा-"हमारा प्रयास इसलिए निष्फल हुआ कि हमारे मन में वैरवृत्ति तीव्र थी। बिबिसार के प्रति तेरे मन में शंका क्यों जन्मी ? यही तो कारण था कि वह मगध का युवराज था और वह जनपदकल्याणी का प्रियतम बन गया था। जनपदकल्याणी किसी को भी अपना प्रियतम बना सकती है, परन्तु
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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