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________________ १६८ अलबेली आम्रपाली की घटनाएं होंगी तो लोगों का संशय काफूर हो जाएगा। फिर उनके यहां आने में कोई बाधा नहीं होगी। यह एक व्यावहारिक समाधान है समस्या का।" गणनायक बोले। प्रियतम का वियोग! "नहीं, नहीं, एक क्षण के लिए भी सह नहीं सकूँगी। चित्त की प्रसन्नता यदि लुप्त हो जाती है तो फिर जीवन ही क्या ?...फिर भी बापू ! मैं इस विषय में विचार करूंगी और कल ही में अपना निर्णय बता दूंगी।" आम्रपाली ने कहा। सिंहनायक वहां से विदा हो गए। दूसरे दिन। आम्रपाली ने प्रातः होते-होते अपनी परिचारिका माध्विका के साथ एक संदेश गणनायक को भेज दिया। गणनायक उस समय पूजागृह में जाने वाले ही थे कि दासी ने वह संदेश का पत्र उनके हाथ में दे दिया। उसमें लिखा था'मेरे प्रियतम संपूर्ण रूप से निर्दोष हैं। निर्दोष को दोषी की आशंका से कुछ समय के लिए भी दूर करना, यह मेरा और उनका-दोनों का अपमान है। केवल अनुमान के आधार पर किसी को दोषी मानकर उसको अपराध के कटघरे में खड़ा करना महान् अन्याय है। इसलिए मैं अपने प्रियतम का त्याग कभी नहीं कर सकेंगी। यह मुझे प्राप्त अधिकार है । इसका मैं आज प्रयोग करती हूं।' आम्रपाली का संदेश पढ़कर गणनायक चितित हो गए। उन्होंने समस्या के समाधान के लिए आज रात्रि में अपने ही भवन में एक गोष्ठी का आयोजन किया। उसमें अष्टकुल के अग्रणीय व्यक्तियों तथा महाबलाधिकृत, चरनायक, कुमार शीलभद्र आदि को पृथक्-पृथक् निमंत्रण भी भेज दिए । कुमार शीलभद्र तो आज रात्रि में कादंबिनी से मिलने जाने वाला था। आज मध्याह्न के पश्चात् कादंबिनी के साथ नैश-भ्रमण की योजना बनाने वाला था। परंतु सिंह सेनापति के निमंत्रण के कारण उसे कादंबिनी से मिलने का दिन बदलना पड़ा। उसने कादंबिनी को कहला दिया-"आज महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए रुकना पड़ा है। कल मिलन होगा।" कादंबिनी का यह शिकार आज छिटक गया। परंतु इस संदेश से कादंबिनी का चित्त तनिक भी विचलित नहीं हुआ। वह जानती थी कि रूप और यौवन का प्यासा रूप और यौवन की धधकती ज्वाला में आज नहीं तो कल अवश्य ही जलकर भस्म हो जाएगा। ___ अष्टकुल के गणमान्य व्यक्ति सिंह सेनापति के यहां एकत्रित हुए और उसी विषय पर गंभीर चर्चाएं चलीं। सभी का एक ही अभिप्राय था कि जब तक मूल
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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