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________________ अलबेली आम्रपाली १३७ वैशाली के युवकों में कादंबिनी के आगमन की चर्चा से आनन्द और कुतूहल का वातावरण व्याप गया। ___कादंबिनी के आगमन के विषय में भी अनेक कल्पनाएं जुड़ गयी थीं। लोग कहते-कादंबिनी गांधार से पलायन कर आई हुई एक अनिन्द्य सुन्दरी है। राजगृह के लोग तो यहां तक कहते कि यह जनपदकल्याणी आम्रपाली से भी नृत्य और रूप में सवाई है । यह मगध की राजनर्तकी बनने आई थी, परन्तु दुर्दम की आकस्मिक मृत्यु के कारण यह प्रश्न एकाध वर्ष के लिए टल गया है । इसलिए अब वह वैशाली आ रही है। ___साथ ही साथ यह बात भी वहां फैल रही थी कि कादंबिनी पूर्वजन्म में एक यक्ष की पत्नी थी। मनुष्य भव में आ जाने पर भी वही यक्ष इसका संरक्षण करता है, जो कोई पुरुष कादंबिनी की इच्छा का अतिक्रमण कर उस पर आक्रमण करता है, यक्ष तत्काल उस पुरुष को मार डालता है। कुछ कहते, कादंबिनी नागकन्या है, अत्यन्य सुन्दर है और नागदेव उसका रक्षण करता है। कुछ कहते, किसी ऋषि के शाप से यह मनुष्य योनि में आई है। यह थी तो देवलोक की देवी। कुछ कहते, कादंबिनी के विषय में जो कुछ सुना जा रहा है, वह व्यर्थ है। वह एक मानव-कन्या है और अपना रक्षण करने में स्वयं समर्थ है। ___इस प्रकार कादंबिनी के विषय में चमत्कारों, रूप और कला की अनेक बातें चचित हो रही थीं। वैशाली के चर-पुरुष केवल इतना ही मानते थे कि कादंबिनी एक नवयौवना सुन्दरी है। वह वैशाली के नवयुवकों के नव-यौवन को उल्लसित करने आ रही है। ____ आम्रपाली ने ये सब बातें सुनीं। उसने अपनी सखी माविका से कहा"माध्विका ! जहां रूप और कला के समक्ष मस्तक झुकते हैं, वहां रूप और कला की अप्रतिम कलाकृति का आना स्वाभाविक है। तू तो समझती है, मैं सगर्भा हूं। मैंने नृत्य का त्याग किया है। मैं लोगों से मिलती-जुलती भी नहीं। ऐसी स्थिति में कादंबिनी का आगमन मेरे लिए वरदान स्वरूप है। __३०. वह भी मरा और... कादंबिनी को वैशाली भेजने की पूर्ण तैयारी हो चुकी थी। मगध के कूटनीतिज्ञ-कलाकुशल महामन्त्री ने कादंबिनी को वहां वैशाली में क्या कुछ करना है, इसका पूर्ण विचार दे दिया था। उन्होंने यह भी कहा था-"पुत्रि ! ये सब जोखिम भरे कार्य हैं । जोखिम के कार्यों में धर्य रखना पड़ता है। यदि धैर्य न हो
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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