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________________ ११४ अलबेली आम्रपाली शिवकेशी वहां रखे गये औषधिसिद्ध पानी के बारह घड़ों को एक-एक कर कादंबिनी के शिर पर उड़ेलने लगा। ___ लगभग दो घटिका पश्चात् कादंबिनी कुछ स्वस्थ हुई 'आचार्य ने उसका नाड़ी-परीक्षण किया और फिर एक लाल रंग की गुटिका उसके मुख में रखते हुए कहा-'पुत्रि ! इस गुटिका को चूसते रहना। इसका रस धीरे-धीरे शरीर में प्रवेश करे। आज का प्रयोग पूरा हो गया है। थोड़े ही समय पश्चात् तू अपने शरीर में ऐसी स्फूति का अनुभव करेगी, जो अपूर्व होगी।" ऐसा ही हुआ। अर्धघटिका के पश्चात् कादंबिनी को नयी शक्ति और स्फूर्ति का अनुभव होने लगा। उसमें नयी चेतना का संचार होने लगा। आचार्य ने पुनः नाड़ी-परीक्षण कर कहा-"आज का कार्य सम्पन्न हुआ है। अब तू स्नानगृह में जा और घृत का मर्दन कर स्नान कर ले । एक प्रहर पर्यन्त दूध के अतिरिक्त कुछ भी मत लेना, फिर सब कुछ खा सकेगी।" कादंबिनी ने अपने आसन से उठते-उठते पूछा- "गुरुदेव ! मेरी जीभ पर क्या हुआ था ?" आचार्य ने हंसते-हंसते कहा---'सात दिन के बाद मैं तुझे बताऊंगा तब तक तुझे धैर्य रखना है।" कादंबिनी आचार्य को नमस्कार कर शिवकेशी के पीछे-पीछे प्रयोगशाला से बाहर निकल गयी। सात दिन तक प्रयोग का यह क्रम चलता रहा। प्रत्येक दिन विषधर को बदल दिया जाता था। नये-नये सर्पो का दंश उसके जीभ पर होने लगा। नागदंश का प्रयोग सात बार करने के पश्चात् आचार्य ने चौदह दिनों तक अंगमर्दन के द्वारा कादंबिनी के शरीर में अनेक प्रकार के विषों को प्रविष्ट किया और कादंबिनी को यह कहा कि सात दिन तक उसको सर्पदंश का प्रयोग कराया गया है। ___ कादंबिनी बोली- "गुरुदेव ! नागदंश का मेरे ऊपर कोई असर क्यों नहीं हुआ ?" ___ "पुत्रि ! सात दिनों तक भयंकर विषधरों के दंश कराए गए थे। उन विषधरों का विष बहुत प्रभावी और भयंकर था। अब और इक्कीस दिन तक नागदंश का प्रयोग कराना है। फिर तेरे शरीर पर किसी भी विषधर के विष का असर रंचमात्र भी नहीं होगा।" चौदह दिन तक स्थावर विष का प्रयोग करने के पश्चात् आचार्य ने पुनः इक्कीस दिन पर्यन्त भयंकर से भयंकर नागों के दंश का प्रयोग सम्पन्न किया। कादंबिनी समझती थी कि वह समस्त भयंकर विषों से मुक्त हो रही है और
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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