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________________ अलबेली आम्रपाली १०५ अंत में माता ने सोचा, अभी एकाध वर्ष बाकी है। इतने में कादंबिनी के प्राणों में रूप और यौवन की मादकता प्रकट होगी । यदि यह तब भी नहीं मानेगी तो इसे जबरन पुरुष के विलास का खिलौना बनाना ही होगा। माता का यह उपाय क्रियान्वित हो, उससे पूर्व ही दस हजार स्वर्णमुद्राओं में कादंबिनी के साथ-साथ वेश्या के सारे मनोरथ भी बिक गए। आचार्य अग्निपुत्र कादंबिनी को साथ ले आश्रम की ओर जा रहे थे। कादंबिनी मन-ही-मन सोच रही थी--"मुझे आश्रम में क्यों ले जाया जा रहा है ? मुझे वहां कौन से शास्त्र का अभ्यास करना होगा?" कादंबिनी को गंभीर हुआ जानकर आचार्य ने पूछा- 'बेटी ! क्या सोच रही है ?" "आचार्यदेव ! मुझे एक प्रश्न उलझा रहा है।" "कैसा प्रश्न ?" "आप मुझे आश्रम में किस शास्त्र का अभ्यास करायेंगे?" "पुत्रि ! तेरे भूतकाल को मैं नहीं जानता। परंतु तेरे बदन पर जो सौम्यता है, उसे देखकर मुझे यह प्रतीत हो रहा है कि तुझे वेश्या जीवन से नफरत है।" ''हां, गुरुदेव !" "मैं तुझे राजनीति का अभ्यास कराना चाहता हूं। बेटी ! तेरे रूप में और नयन में एक ऐसा गौरव छुपा हुआ है कि यदि तेरी जैसी सुंदरी कन्या राजनीति में निष्णात होती है तो वह मगध की सुरक्षा का महत्त्वपूर्ण अंग बन सकती है। इसी दष्टि से मैं तेरी जैसी कन्या की खोज कर रहा था। तू मिल गई । अब मेरे अरमान पूरे होंगे।" आचार्य अग्निपुत्र ने कहा। कादंबिनी विचार-मग्न हो गई। उसकी आंखों के सामने -मगध की भावी रक्षा''यह चित्र नाचने लगा। रथ तीव्र गति से वैभार गिरि को पार कर चुका था। आचार्य ने कहा-"नृत्य और संगीत शास्त्र से राजनीति शास्त्र का अभ्यास कठिन नहीं है । यह शुष्क लगता है, पर वैसा है नहीं। एक बार इसमें उतरने के पश्चात् समग्र मानस बदल जाता है इसके अभ्यास से तेरे में महान् शक्ति पैदा होगी 'बड़े-बड़े सम्राट् तेरे चरणों में लुटेंगे 'तेरा निर्णय अंतिम निर्णय माना जाएगा.'पुत्रि ! तपश्चर्या और श्रम के समक्ष कोई भी शास्त्र अलभ्य नहीं होता।" कादंबिनी आचार्य के तेजस्वी वदन और कृश देह को स्थिर दृष्टि से देखती रही। उसके अनुभवहीन मन में आशा का एक नया उन्मेष उभरा और वह उसमें उन्मज्जन-निमज्जन करने लगी।
SR No.032425
Book Titlealbeli amrapali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahrajmuni
PublisherLokchetna Prakashan
Publication Year1992
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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