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________________ उपरोक्त प्रकृतियों का बंध हो सकता है। अव्यवहार गत राशि के जीवों के भी अनन्त-अनन्त काल चक्रों में अनेक-अनेक प्रकृतियों का बंध नहीं हुआ है। 357. कर्म का उदय चल रहा है, किन्तु उसका बंध नहीं होता, ऐसा समय कभी आता है? उ. चौदहवें गुणस्थान के पंच ह्रस्वाक्षर उच्चारण जितने समय में यह प्रसंग जरूर बनता है। जब कर्म का उदय तो चलता है, पर बंध नहीं होता क्योंकि वहाँ कर्म बंध का मुख्य हेतु आश्रव का पूर्ण निरोध हो चुका होता है। 358. क्या कर्म फल व ग्रह फल एक है? उ. कर्मफल स्वकृत कर्मों का फल है। ग्रहफल जीव में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं की भविष्यवाणी करने का माध्यम है। ग्रहफल ज्योतिष शास्त्र का विषय है। जैन दर्शन के अनुसार शुभ-अशुभ घटनाएं कर्मजन्य हैं। ग्रह उनकी अवगति में सहायक बनते हैं और कर्मफल के विपाकोदय की भूमिका निर्मित करते हैं। 359. आठ कर्मों की उत्तर प्रकृतियां कितनी हैं? और उन उत्तर प्रकृतियों में बंध योग्य, उदय व उदीरणायोग्य, और सत्ता योग्य प्रकृतियां कितनी हैं? उ. उपरोक्त प्रश्न का उत्तर नीचे लिखे यंत्र से जाने ___कर्म बंध योग्य उदय-उदीरणा योग्य सत्तायोग्य ज्ञानावरणीय 555 दर्शनावरणीय वेदनीय 2 2 2 मोहनीय 28 26 28 आयुष्य नाम 676767 गोत्र 2 2 2 अन्तराय 555 158 120 122 360. आठ कर्मों की कितनी प्रकृतियां उदय योग्य होती हैं? उ. आठ कर्मों की 122 प्रकृतियों का उदय होता है। un o N 00 A w N u oo 82 कर्म-दर्शन 82 कर्म-दर्शन
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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