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________________ जब वह अपने नगर आया, राजा को सूर्यध्वज के नियम संबंधी जानकारी मिली तो राजा झुंझलाया और उसे प्रत्याख्यान के लिए निषेध कर दिया। वह न चाहते हुए भी पिता का आदेश शिरोधार्य कर नियमों को तोड़ दिया। राजा ने अपने राज्य में धार्मिक उपासना व प्रत्याख्यान के विरुद्ध निषेधाज्ञा जारी कर दी। राजा का मानना था कि धर्म कायरों का काम है। धर्म साहस और शक्ति को क्षीण करने का उपक्रम है। हिंसा से साहस बढ़ता है और साहस से शक्ति बढ़ती है । राज्य में आये दिन शिकार के आयोजन होते रहते थे। राजा की प्रेरणा से पूरे राज्य में आबाल-वृद्ध सभी शिकारी बन गये। निशानेबाज शिकारियों में एक वहाँ का राजा भी था। लाट नरेश (राजा) तुम्हारी मृत्यु भी शिकार करते हुए हुई । लाट के घने जंगलों में एक बार बवर्ची शेर नरभक्षी बन गया था। उस जंगल से सटे हुए छोटे-छोटे गांवों में आतंक फैल गया। राजा को इसकी सूचना मिलने पर उसने शिकार की योजना बनाई और दल-बल के साथ पहुंचा। तंबू लगाये गये, मचान बांधा गया, और नरभक्षी का पता लगाया गया । सन्ध्या के समय सज-धज कर राजा मचान पर चढ़ने की तैयारी कर रहा था। शेर झाड़ियों में छिपता - छिपता मचान के पास वाली झाड़ी में आ गया। अवसर देखकर नरभक्षी शेर ने दहाड़ मारी। सारा जंगल थर्रा उठा । वे लोग संभलें, उससे पहले शेर बिजली की तरह झपटा, चढ़ रहे राजा को मूंह में दबोचा और घने जंगल में चला गया। कुछ प्रयत्न करे, उससे पहले वह दृष्टि से ओझल हो गया। इतने में सूर्यास्त भी हो गया। अंधेरे में राजा की तलाश करने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। राजा वहाँ से मरकर पांचवीं नरक में गया। वहाँ से पशु-पक्षियों की योनियों में भटकता रहा। अब पहली बार तुमने राजा के रूप में जन्म लिया है। उस समय बांधा हुआ मोहनीय कर्म अभी कुछ शेष है इसलिये श्रावक नहीं बन सका । राजन्! यहां से आयुष्य पूर्ण कर तूं देव बनेगा, फिर मनुष्य बनेगा, तब श्रावक बनेगा। वर्तमान में कर्मोदय है, उसे भोगना भी अनिवार्य है। निर्जरा धर्म की उपासना कर सकता है। (29) काशी का राजकुमार जयसेन एक उद्धत राजकुमार था। वह शरीर से शक्तिशाली था। मन में अकड़न थी, टेढ़ापन था, क्रोध भी था। उसके साथी भी कर्म-दर्शन 271
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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