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________________ 1012. औदारिक, वैक्रिय और आहारक इन तीन शरीरों में पर्याप्तियां पूर्ण करने का क्रम क्या है ? उ. औदारिक शरीर वाला जीव पहली पर्याप्ति एक समय में पूर्ण करता है और इसके बाद अन्तर्मुहूर्त में दूसरी, इसके बाद तीसरी । इस प्रकार चौथी, पांचवीं और छठी प्रत्येक क्रमशः अन्तर्मुहूर्त - अन्तर्मुहूर्त के बाद पूर्ण करता है। वैक्रिय और आहारक शरीर वाले जीव पहली पर्याप्ति एक समय में पूरी कर लेते हैं और उसके बाद अन्तर्मुहूर्त में दूसरी पर्याप्ति, उसके बाद तीसरी, चौथी, पांचवीं और छठी पर्याप्ति अनुक्रम से एक-एक समय में पूरी करते हैं। किन्तु देव पांचवीं और छठी इन दोनों पर्याप्तियों को अनुक्रम से पूर्ण न कर एक साथ एक समय में ही पूरी कर लेते हैं । 1013. सबसे कम कौनसी पर्याप्ति वाले जीव हैं ? उ. मनः पर्याप्ति वाले। 1014. स्थिर नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से शरीर के अवयव मजबूत एवं स्थिर होते हैं, उसे स्थिर नाम कर्म कहते हैं। 1015. शुभ नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से शरीर सुन्दर एवं लावण्ययुक्त होता है उसे शुभ नाम कर्म कहते हैं। अथवा जिस कर्म के उदय से शरीर के नाभि से मस्तक तक भाग सुन्दर एवं शुभ हो उसे शुभ नाम कर्म कहते हैं। 1016. सुभग नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव सबको प्रिय लगता है, उसे सुभग नाम कर्म कहते हैं। 1017. सुस्वर नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव का स्वर मधुर व प्रिय लगता है, उसे नाम कर्म कहते हैं। सुस्वर 1018 आदेय नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव का वचन आदेय व प्रामाणिक होता है, उसे आदेय नाम कर्म कहते हैं। 1019. यश: कीर्ति नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव को यश: कीर्ति मिलती है उसे यश: कीर्ति नाम कर्म कहते हैं। कर्म-दर्शन 211
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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