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________________ आकाश में चलता है। जिस कर्म के उदय से विहायोगति प्राप्त होती है उसे विहायोगति नाम कर्म कहते हैं। 969. विहायोगति नाम कर्म के कितने भेद हैं? उ. विहायोगति नाम कर्म के दो भेद हैं—शुभ विहायोगति (प्रशस्त विहायोगति), अशुभ विहायोगति (अप्रशस्त विहायोगति)। 970. शुभ विहायोगति नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव को हंस जैसी सुन्दर, प्रशंसनीय चाल, गति अथवा गमन क्रिया की प्राप्ति होती है, उसे शुभ विहायोगति नाम कर्म कहते हैं। 971. अशुभ विहायोगति नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव को गर्दभ जैसी अशुभ चाल-गति-गमन क्रिया की प्राप्ति होती है, उसे अशुभ विहायोगति नाम कर्म कहते हैं। 972. प्रत्येक प्रकृति किसे कहते हैं? उ. जिस प्रकृति का कोई भेद नहीं होता, जो स्वयं में एक होती है उसे प्रत्येक प्रकृति कहते हैं। 973. आठ प्रत्येक प्रकृतियां कौन-कौनसी हैं? उ. प्रत्येक प्रकृतियां-(1) अगुरुलघु नाम, (2) उपघात नाम, (3) पराघात नाम, (4) उच्छ्वास नाम, (5) आतप नाम, (6) उद्योत नाम, (7) निर्माण नाम, (8) तीर्थंकर नाम। 974. अगुरुलघु नाम कर्म किसे कहते हैं? ___उ. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर अधिक हलका अथवा अधिक भारी नहीं होता उसे अगुरुलघु नाम कर्म कहते हैं। 975. अगुरुलघु नाम कर्म की प्रकृति का उदय किन जीवों के होता है? उ. यह प्रकृति ध्रुवोदयी प्रकृति है। इस प्रकृति का उदय प्रत्येक संसारी जीव के अवश्य ही होता है। 976. उपघात नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव अपने अधिक या विकृत अवयवों द्वारा दु:ख पाते हैं अथवा जो कर्म जीव के उपघात-बेमौत मरण का कारण हो उसे 'उपघात नाम कर्म' कहते हैं। 22 कर्म-दर्शन 205
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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