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________________ 939. किस संहनन वाला जीव कौनसी नरक में जाता है? उ. नरक - संहनन 1, 2 - छह-सभी पांच-सेवार्त को छोड़कर चार-कीलिका, सेवार्त को छोड़कर तीन-अर्धनाराच, कीलिका, सेवार्त को छोड़कर। दो-वज्रऋषभनाराच, ऋषभनाराच। 7 - एक-वज्रऋषभनाराच। 940. शास्त्रों में (आगमों में) देव को वज्रऋषभनाराच वाले और नारकी को सेवार्त संहनन वाले कहा गया है और चार गति में संहनन की व्याख्या में देव और नारक को संहनन रहित कहा गया है, ऐसा क्यों? उ. देव और नारकी के शरीर में अस्थियां नहीं होती किन्तु वे क्रमश: वज्रऋषभनाराच संहनन युक्त और सेवार्त संहनन युक्त होते हैं अर्थात् उनमें प्रथम व छठे संहनन जितनी शक्ति होती है। 941. संस्थान नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. शरीर के आकार विशेष को संस्थान कहते हैं। जो शरीर की आकृति रचना ___का हेतुभूत है उस कर्म को संस्थान नाम कर्म कहते हैं। 942. संस्थान नाम कर्म कितने प्रकार का है? उ. छः प्रकार का-(1) समचतुरस्र, (2) न्यग्रोध परिमण्डल, (3) सादिज, (4) वामन, (5) कुब्ज, (6) हुण्डक। 943. समचतुरस्र संस्थान किसे कहते हैं? उ. सम अर्थात् समान, चतुर यानी चार, अस्र यानी कोण। पर्यंकासन में स्थित होने पर जिस पुरुष के बायें कंधे और दाहिने घुटने, दाहिने कंधे और बायें घुटनें, दोनों घुटनों के बीच का अन्तर तथा ललाट और पर्यंक के बीच का अन्तर ये चारों अन्तर समान हो उसे समचतुरस्र संस्थान कहते हैं। 944. समचतुरस्र संस्थान नामकर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव प्रथम संस्थान समचतुरस्र की प्राप्ति करता है, उसे समचतुरस्र नाम कर्म कहते हैं। 945. समचतुरस्र संस्थान किसके होता है? उ. केवल पंचेन्द्रिय जीवों के होता है। 200 कर्म-दर्शन
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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