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________________ 921. संघातन नाम कर्म की कितनी उपकृतियां हैं? उ. संघातन नाम कर्म की पांच उपप्रकृतियां हैं (1) औदारिक शरीर संघात नाम कर्म, (2) वैक्रिय शरीर संघात नाम कर्म, (3) आहारक शरीर संघात नाम कर्म, (4) तैजस शरीर संघात नाम कर्म, (5) कार्मण शरीर संघात नाम कर्म। 922. औदारिक संघातन नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. औदारिक शरीर की रचना के अनुरूप पुद्गलों को एकत्र करने वाले कर्म को औदारिक संघातन नाम कर्म कहते हैं। (इसी प्रकार शेष चारों शरीर पर यही बात लागू होती है। केवल शरीर का नाम बदल जाएगा।) 923. शरीर नाम कर्म और संघातन नाम कर्म में क्या अन्तर है? उ. शरीर की रचना के योग्य पुद्गलों का ग्रहण, पुद्गलों का शरीर के रूप में परिगमन और शरीर की रचना आदि कार्य, शरीर नाम कर्म सम्पन्न करता है परन्तु संघातन नाम कर्म शरीर की रचना के लिए आवश्यकतानुसार पुद्गलों के जत्थे एकत्र करके प्रदान करता है। स्थूल शरीर की रचना होने पर पुद्गलों के अधिक जत्थे तथा सूक्ष्म शरीर की रचना होने पर पुद्गलों के कम जत्थे प्रदान करना संघातन नाम कर्म का कार्य है। 924. संहनन नाम कर्म किसे कहते हैं? ___उ. जिस कर्म के उदय से शरीर अस्थि संरचना की मजबूती निर्भर करती है उसे संहनन नाम कर्म कहते हैं। 925. संहनन किसे कहते हैं? उ. संहनन का एक अर्थ है-अस्थि संरचना। संहनन का दूसरा अर्थ है-अमुक-अमुक प्रकार के अस्थि संचय से उपमित शक्ति विशेष। 926. संहनन नाम कर्म की उपप्रकृतियां कितनी हैं? उ. संहनन नाम कर्म की उपप्रकृतियां छह हैं 1. वज्रऋषभनाराच संहनन नाम कर्म 2. ऋषभनाराच संहनन नामकर्म 3. नाराच संहनन नामकर्म 4. अर्धनाराच संहनन नामकर्म 5. कीलिका संहनन नामकर्म 6. सेवार्त संहनन नामकर्म कर्म-दर्शन 197
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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