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________________ 473. अवधिज्ञान किसे प्राप्त होता है? उ. जो मतिज्ञान का प्रतिपत्ता (प्राप्त करने वाला) है, वही अवधिज्ञान का प्रतिपत्ता है। औपशमिक और क्षपकश्रेणी की अवस्था में अवेदक और अकषायी को अवधिज्ञान प्राप्त होता है। ये मतिज्ञान से अतिरिक्त स्थान है। जिन्हें मन:पर्यवज्ञान पहले प्राप्त हो जाता है, उन्हें अवधिज्ञान बाद में प्राप्त. होता है। इस मतिज्ञान से अवधिज्ञान के तीन स्थान अधिक हैं। (1) अवेदक, (2) अकषायी, (3) मनः पर्यव के पश्चात्। रत्नप्रभा धूमप्रभा 474. अवधिज्ञान के द्वारा देखने की शक्ति का परिमाण बताएं? उ. अवधिज्ञान के द्वारा देखने की शक्ति का यंत्रनाम जघन्य उत्कृष्ट 3/2 गव्यूत 4 गव्यूत शर्कराप्रभा 3 गव्यूत 372 गव्यूत बालुकाप्रभा 2/2 गव्यूत 3 गव्यूत पंकप्रभा 2 गव्यूत 2/2 गव्यूत 1/2 गव्यूत 2 गव्यूत तम:प्रभा 1 गव्यूत 1/2 गव्यूत महातम:प्रभा 72 गव्यूत 1 गव्यूत असुर कुमार 25 योजन असंख्यात द्वीप समुद्र नौ निकाय 25 योजन संख्यात द्वीप समुद्र व्यन्तर 25 योजन संख्यात द्वीप समुद्र ज्योतिषी अंगुल का असंख्यातवां भाग ससंख्यात द्वीप समुद्र संज्ञी तिर्यंच अंगुल का असंख्यातवां भाग असंख्यात द्वीप समुद्र संज्ञी मनुष्य अंगुल का असंख्यातवां भाग अलोक में लोक जितने असंख्य खंड 1, 2 देवलोक अंगुल का असंख्यातवां भाग अधोलोक में रत्नप्रभा का चरमांत 3, 4 देवलोक अंगुल का असंख्यातवां भाग अधोलोक में शर्कराप्रभा का चरमांत 5, 6 देवलोक अंगुल का असंख्यातवां भाग अधोलोक में बालुकाप्रभा का चरमांत 7, 8 देवलोक अंगुल का असंख्यातवां भाग अधोलोक में पंकप्रभा का चरमांत 1. असुर कुमार के अतिरिक्त शेष भवनपति देवों के लिए समुच्चय रूप में नौ निकाय शब्द प्रयुक्त होता है। 108 कर्म-दर्शन
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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