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________________ 457. मतिज्ञान व श्रुतज्ञान में क्या अन्तर हैं? . उ. मतिज्ञान व श्रुतज्ञान में निम्नलिखित अन्तर हैं 1. मतिज्ञान मनन प्रधान है, श्रुतज्ञान शब्द प्रधान है। 2. मतिज्ञान सं स्वगत बर्बाध होता है, श्रुतज्ञान से स्व और पर दोनों का बोध होता है। 3. मतिज्ञान वार्तमानिक है, श्रुतज्ञान त्रैकालिक है। 4. मतिपूर्वक श्रुत होता है, पर श्रुतपूर्वक मति नहीं होता। 5. मतिज्ञान कारण है, श्रुतज्ञान कार्य है। 6. मतिज्ञान हेतु है, श्रुतज्ञान फल है। 7. मतिज्ञान मूक है, श्रुतज्ञान अमूकतुल्य वचनात्मक है। 8. मतिज्ञान अनक्षरात्मक है, श्रुतज्ञान अक्षरात्मक है। 9. मतिज्ञान वल्कल (छाल) के समान है, श्रुतज्ञान डोरी के समान है। 10. मतिज्ञान के अवग्रह आदि अट्ठाईस भेद हैं, श्रुतज्ञान के 14 भेद हैं। 11. श्रुतज्ञान केवल श्रोत्रेन्द्रिय से सम्बन्धित है, मतिज्ञान शेष इन्द्रियों से सम्बन्धित है। 452. मतिज्ञान और श्रुतज्ञान में अभेद क्या है? उ. मतिज्ञान और श्रुतज्ञान में निम्न दृष्टियों से अभेद है— 1. अधिकारी-जो मतिज्ञान का अधिकारी है, वही श्रुतज्ञान का ___ अधिकारी है। 2. काल—जितनी स्थिति मतिज्ञान की है, उतनी ही श्रुतज्ञान की स्थिति 3. कारण—दोनों ज्ञान क्षयोपशम हेतुक हैं। 4. परोक्षत्व-इन्द्रिय और मन के निमित्त से होने के कारण दोनों ज्ञान __ परोक्ष हैं। 5. मति और श्रुत होने पर ही अवधि आदि शेष ज्ञान होते हैं। 453. समुच्चय रूप से श्रुत कितने प्रकार का है? उ. समुच्चय रूप से श्रुत के चार प्रकार कहे गये हैं (1) द्रव्यतः, (2) क्षेत्रतः, (3) कालतः, (4) भावतः। 1232122012 0342022 कर्म-दर्शन 103
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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