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________________ का हाथ पकड़ कर खड़ी थी। उसके हृदय में हर्ष समा नहीं रहा था। वासरी की सखियां, सुदंत के मित्र, सुदंत की बहिन, बहनोई आदि नवदंपती के साथ सुदंत की झोंपड़ी की ओर अग्रसर हुए। ___ सभी के हृदय में एक ही बात क्रीड़ा कर रही थी कि ईश्वर ने समान जोड़ी मिलाई है। ज्यों ही सुदंत की झोंपड़ी निकट आई तब बहिन दौड़कर आगे आई और झोंपड़ी के परिसर के झांपें को अलग कर रख दिया। आस-पास के आठ-दस झोंपड़ियों से स्त्री-पुरुष वहां आ पहुंचे, जो अभी-अभी अपनी झोंपड़ियों में गए थे। एक पारधी बहिन किसी वृक्ष के पत्ते पीस कर एक काष्ठ की पात्री में ले आई थी। सुदंत और वासरी ज्यों ही झोंपड़ी के परिसर में आए तब सुदंत की बहिन झोंपड़ी में से हर्षफुल्ल वदन से बाहर आई। वनस्पति को पीसकर तैयार किए गए लाल रंग के पानी में दोनों हाथों को डूबो कर भाई और भाभी के गालों पर लेप किया और कपाल पर भी वह लेप लगा दिया। फिर नवदंपती को लेकर बहिन झोंपड़ी में गई। इन वनवासियों के पास तेल-घी तो था ही नहीं, परंतु ये एक वृक्षविशेष का रस एकत्रित कर रखते थे। उसमें घास की वर्ती डुबोकर उसे चकमक पत्थर की अग्नि से प्रज्वलित कर दीपक जलाते थे। बहिन ने दीपक जलाया और उस दीपक के समक्ष दोनों को बिठाया। ___ इतने में ही मुखिया के घर से दूध से भरा एक दोना आया। उस दोने में से एक पात्र में दूध भर कर सुदंत ने वासरी को पिलाया और वासरी ने एक पात्र में दूध भरकर सुदंत को पिलाया। पारधी जाति की यह सहज रीति थी। दीपक को नमन कर दोनों उठे और एक खाट पर बैठ गए। सूर्य अपनी गति से आगे बढ़ रहा था। कुछ ही समय के पश्चात् नगाड़े बजने लगे। मुखिया पारधी, उसके साथी कुछेक स्त्री-पुरुष तथा बालक एकत्रित हो गए। सभी नवदंपति को साथ ले कुछ ही दूरी पर स्थित देवी के मंदिर में पहुंचे। वाद्यों के रणकार और स्त्रियों के उल्लासभरे गीतों की मधुरध्वनि से नवदंपति ने चार फेरे संपन्न किए..... फिर सुदंत ने अपने गले से वरमाला उतारी...... उसे दोनों ने पकड देवी के मंदिर में रख दी। विधि पूरी हुई। वहीं सभी ने सामूहिक नृत्य प्रारंभ कर दिया। इधर मुखिया के परिसर में बड़े-बड़े चूल्हों पर विविध प्रकार के मीठे कंद पूर्वभव का अनुराग / १७
SR No.032422
Book TitlePurvbhav Ka Anurag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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