SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दीर्घनिकाय ग्रन्थ के सामञ्जफल सूत्र में 62 मतवादों का उल्लेख है। भगवान बुद्ध ने उन्हें मिथ्यादृष्टि से अभिहित किया है। उपनिषदों में यत्र-तत्र विभिन्न मतभेदों की चर्चा है। श्वेताश्वतर उपनिषद् में कालवाद, स्वभाववाद, नियतिवाद यदृच्छावाद आदि का नाम निर्देश है। मैत्रायणी उपनिषद् में कालवादी की मान्यता का भी निरूपण है।' ब्रह्मजाल सुत्त में 62 सिद्धांत निम्नानुसार हैंनित्यवाद 2. नित्यता-अनित्यतावाद 3. सान्त - अनन्तवाद 4. अमरा - विक्षेपवाद 5. अकारणवाद 6. मरणान्तर होशवाला आत्मा 7. मरणान्तर बेहोश आत्मा 8. मरणान्तर न होश, न बेहोश 9. आत्मा का उच्छेद 10. इसी जन्म में निर्वाण 1. नित्यवाद- भिक्षुओं ! कितने ही श्रमण और ब्राह्मण नित्यवादी 4 कारणों से आत्मा और लोक दोनों का नित्य मानते हैं। 2. नित्यता-अनित्यतावाद- भिक्षुओं ! चार कारणों से ये आत्मा और लोक की अंशत : नित्य और अंशत : अनित्य मानते हैं। 3. सान्त-अनन्तवाद- भिक्षुओं ! कितने श्रमण व ब्राह्मण चार कारणों से लोक को सान्त और अनन्त मानते हैं। ___4. अमरा-विक्षेपवाद- भिक्षुओं ! कोई श्रमण या ब्राह्मण ठीक से नहीं जानता कि यह अच्छा या बुरा। अतः यह असत्य भाषण के भय और घृणा से न यह कहता है कि यह अच्छा है और न यह कहता कि बुरा है ऐसा वह चार कारणों से करता है। 5. अकारणवाद- ये दो कारणों से आत्म और लोक को अकारण उत्पन्न मानते हैं। 6. मरणान्तर होशवाला आत्मा- भिक्षुओं! कितने श्रमण और ब्राह्मण मरने के बाद। 7. मरणान्तर बेहोश आत्मा- भिक्षुओं ! कितने श्रमण-ब्राह्मण आठ कारणों से मरने के बाद आत्मा असंज्ञी रहता है, ऐसा मानते हैं। 8. मरणान्तर न होश, न बेहोश- भिक्षुओं ! कितने श्रमण ब्राह्मण आठ कारणों से मरने के बाद आत्मा न संज्ञी रहता न असंज्ञी ऐसा मानते हैं। 9. आत्मा का उच्छेद- कितने श्रमण व ब्राह्मण सात कारणों से आत्मा का उच्छेद-विनाश मानते हैं। अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy