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________________ शरीर का और कोई अंग हृदय जितना कठोर श्रम नहीं करता, इसके लिये ऊर्जा की खपत भी अधिक होती है। खाद्य के रूप में शरीर को जो ऊर्जा प्राप्त होती है उसका प्रायः आधा भाग हृदय क्रियाशील रखने में खर्च हो जाता है। शरीर को प्राप्त होनेवाली ऑक्सीजन का 25% भाग भी उसी के निमित्त खर्च हो जाता है। हृदय को अन्य अंगों की अपेक्षा दस गुना अधिक पोषण की अपेक्षा रहती है। आलिन्द और निलय में विद्यमान रक्त से उसका संपोषण नहीं होता। उसके लिये विशेष व्यवस्था है। दो हृदय धमनियां महाधमनी में से निकल कर हृदय के दांयें-बांये होती हुई ऊपर तक जाती है। ये धमनियां किसी कारण से अवरुद्ध हो जाये और हृदय को पर्याप्त पोषण न मिले तो दिल का दौरा होने की संभावना रहती है। ____ लाल कणिका - लाल कणिकाएं और श्वेत कणिका दोनों का शरीर में महत्त्वपूर्ण स्थान है। रक्त के छोटे से बिन्दु में भी पचास लाख लाल कणिकाओं का समावेश हो जाता है। रक्त में विद्यमान लोहा युक्त प्रोटीन पदार्थ रक्त को लाल बनाये रखता है। लालकणिकाओं का कार्य फुफ्फुसों से ऊत्तकों तक ऑक्सीजन लाना और कार्बन को अल्पमात्रा में वहां से ले जाना है।55(क) श्वेतकणिका- ये लाल कणिका से कुछ बड़ी होती है। इनमें हिमोग्लोबिन नहीं रहता इसलिये रंग विहीन होती है। रक्त में इनकी संख्या प्रति घन मी.मी. 7000 से 10,000 होती हैं। शरीर की रोगों से रक्षा करना इनका मुख्य कार्य है। लाल-कणिका की अपेक्षा ये अधिक क्रियाशील होती हैं। खून की सफाई किडनी में होती है। यह विजातीय तत्त्वों का मूत्र वाहिनियों द्वारा निष्कासन करती है। यदि फेफड़े व्यवस्थित कार्य नहीं करते हों तो रक्त में रहे हुए कार्बन और विजातीय द्रव्यों का पूरा निष्कासन नहीं होता जिससे किडनी को अधिक श्रम करना पड़ता है। फलस्वरूप उसकी निष्कासन क्षमता कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में अवशिष्ट विजातीय द्रव्य त्वचा द्वारा बाहर निकलते हैं इसे चर्मरोग कहा जाता है। ___श्वसन तंत्र- जीने के लिये ऑक्सीजन की अनिवार्य अपेक्षा है। भोजन एवं पानी के अभाव में व्यक्ति कुछ समय तक जी सकता है किन्तु प्राणवायु के बिना संभवत: कुछ क्षणों से अधिक जी पाना संभव नहीं है।55(ख) शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं को अपने कार्य सम्पादन में ऑक्सीजन जितना जरूरी है उतना ही आवश्यक कार्बन का निष्कासन जरूरी है। श्वसन-तंत्र इन दोनों की आपूर्ति करता है। 340 अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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