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________________ पानी, ऑक्सीजन एवं अन्य आवश्यक तत्त्वों को ऊत्तकीय कोशिकाओं तक पहुंचाना तथा वहां अवशिष्ट पदार्थों का निष्कासन करना इसका प्रमुख कार्य है। इसमें मुख्य सहयोगी हैं- हृदय, फेफड़े, महाधमनी, धमनियां, महाशिरा, कोशिकाएं और शिराएं। रक्त को सतत गतिशील रखने में प्रेरक है- हृदय की धड़कन। हृदय खोखली मांसपेशी के रूप में चार खण्डों में विभाजित होता हैं। आलिन्द हृदय का छोटा ऊपरी कोष्ठ है। जिसमें शिराओं द्वारा रक्त आता है। निलय हृदय का बड़ा निचला कोष्ठ है जो रक्त को बाहर निकालता है। अर्थात् ह्रदय के दांयें ऊपर के कोष्ठ में अशुद्ध रक्त आता है। उसी समय बांयें ऊपरी कोष्ठ में फेफड़ों से शुद्ध रक्त आता है। वहां से वाल्व द्वारा अशुद्ध रक्त दायें नीचे के कोष्ठ में जाता है। शुद्ध रक्त बांये नीचे कोष्ठ में पहुंचता है। निलयों की संकोचन और प्रसारण क्रिया द्वारा अशुद्ध रक्त फेफड़ों में एवं शुद्ध रक्त पूरे शरीर में पहुंचता है। हृदय की धड़कन प्रतिमिनट करीब 70-72 होती हैं। प्रसारण 49 प्रति सैकिण्ड तथा संकोचन 36 चलता है। शारीरिक श्रम के समय धड़कन बढ़ जाती है। ___ हृदय का भार पुरूषों में करीब 300 ग्राम, स्त्रियों में 250 ग्राम होता है। यह एक आश्चर्यकारी पम्प है। एक मिनट में लगभग 5 लीटर का रक्त शरीर में यातायात कर लेता है और प्रतिदिन यह पम्प शरीर की रक्त नलिकाओं के माध्यम से लगभग 1 लाख कि.मी की लम्बाई में रक्त प्रवाहित कर लेता है। रक्त परिसंचरण तंत्र के अन्तर्गत रक्त वाहिकाओं लाल तथा श्वेत रक्त कणिकाओं के योगदान को रेखांकित करना भी प्रासंगिक हैं... रक्त वाहिकाएं- रक्त वाहिकाएं मुख्यत: तीन प्रकार की है55- धमनियां, शिराएं और केशिकाएं। हृदय से शरीर को रक्त पहुंचाने का कार्य धमनियों का है। शरीर से हृदय की ओर रक्त प्रवाहित करना शिराओं का कार्य है। केशिकाएं बहुत सूक्ष्म होती हैं। रक्त कणिकाओं को एक-एक की पंक्ति से गुजरना पड़ता है। वे कोशिका ऊत्तकों में व्याप्त होकर केशिकाओं से संपर्क करती है। अपने साथ लाये हुए ऑक्सीजन आदि आवश्यक पदार्थ रक्त द्वारा उन्हें सौंप देती है तथा कार्बन आदि निष्कासित पदार्थ रक्त में विसर्जित कर देती है। आदान-प्रदान की यह क्रिया इतनी शीघ्र होती है कि प्रविष्ट होने वाला प्रत्येक रक्त-दल किसी एक कोशिका में एक से तीन सेंकिण्ड ही ठहर पाता है। क्रिया और शरीर - विज्ञान 339
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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