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________________ जैनागमों में गर्भ - विज्ञान आधुनिक विज्ञान ने सोनोग्राफी - टु -डेट - अल्ट्रा साउंड यंत्र (2-D-USG) का आविष्कार किया है। उसके द्वारा वीडियो स्क्रीन पर गर्भस्थ शिशु के विकास की पूरी प्रक्रिया देखी जा सकती है। यंत्र का आधार अति सूक्ष्म ध्वनि तरंगें हैं। इनके माध्यम से फिल्म की तरह गर्भस्थ शिशु के प्रत्येक स्पंदन, स्थिति का प्रत्यक्ष संभव है। इस सारी प्रक्रिया को वीडियो कैसेट में स्थायी रूप में रिकार्ड भी किया जा सकता है। 12 या 13 सप्ताह के गर्भ में कहीं विकृति दिखाई देने पर निवारक उपायों का प्रयोग भी हो सकता है। एक कोशिका से गर्भाधान प्रारंभ होता है। कोषों के विभाजन एवं विकास की प्रक्रिया में एक सप्ताह में ट्यूब (गर्भनाल ) बनता है उसके द्वारा गर्भ का माता के साथ सम्बन्ध जुड़ता है। तत्पश्चात् मस्तिष्क, नर्वस सिस्टम, त्वचा, बाल, आंख और मुंह का निर्माण होता है। क्रमश: Meodrem में से हृदय, अस्थियां, गुदा आदि का विकास होता है। दो महीने के बाद विकास की गति तीव्र हो जाती है, प्रजननतंत्र का लिंग निर्धारण के साथ पूरा आकार बन जाता है। तीसरे महीने में अंगुली जितना कद, त्वचा का आवरण अपारदर्शक तथा स्पर्श की अनुभूति होने लग जाती है। चौथे महीने से भ्रूण में हलन चलन की प्रक्रिया उत्पन्न होती है। माता खड़ी होती है या बैठती है, चलती है या सोती है, प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया बालक करता है। यह उसके विकास - वृद्धि में सहायक बनता है। पांचवें महिने में स्वाद की अनुभूति करता है। शोधकर्ताओं के अभिमत से जन्म के समय बालक की जीभ पर 10,000 स्वाद कणिकाएं हो जाती हैं। ऑक्सीजन युक्त शुद्ध वायु गर्भनाल से प्राप्त होता है। मल-मूत्र की प्रक्रिया की शुरुआत हो जाती है। फेफड़ों की क्रिया सबसे अन्त में होती है इसलिये बच्चों को श्वास लेने का अभ्यास नहीं होता। सद्यजात शिशु में श्वसनतंत्र की तकलीफ अधिक देखने को मिलती है। जन्म से पूर्व ही बच्चा माता की आवाज से परिचित हो जाता है। माता के हृदय की धड़कन, पाचनक्रिया के समय होने वाली आवाज सुन लेता है। नींद और जागृति की क्रिया के साथ वह स्वप्न भी देखता है। माता की मानसिक और शारीरिक परिस्थिति का अनुभव भी करता है। शरीर विज्ञान में शरीर रचना और उसके कार्य शरीर के विभिन्न अवयवों की कार्य-प्रणाली के अध्ययन को शरीर क्रियाअहिंसा की सूक्ष्म व्याख्या: क्रिया 324
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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