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________________ क्रमांक गुणांश 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. जघन्य + जघन्य जघन्य +एकाधिक जघन्य + द्वयाधिक 1. 2. 3. 4. 5. 6. जघन्य +त्र्याधिक जघन्येतर + समजघन्येतर जघन्येतर + एकाधिकतर जघन्येतर + द्वयधिकतर जघन्येतर + त्र्यादि अधिकतर तत्वार्थ सूत्र के आधार पर बंध की शर्ते निम्नानुसार हैं क्रमांक गुणांश जघन्य + जघन्य जघन्य + एकाधिक जघन्येतर + समजघन्येतर सदृश नहीं नहीं जघन्येतर + एकाधिक जघन्येतर जघन्येतर + द्वयधिक जघन्येतर जघन्येतर + त्र्यादि अधिक जघन्येतर सदृश नहीं नहीं नहीं नहीं है नहीं विसदृश नहीं नहीं नहीं नहीं विसदृश नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं भाजन- प्रत्यनिक भाजन का अर्थ है- आधार | 24 किसी भाजन में रखी हुई वस्तु का स्वरूप दीर्घ काल में बदल जाता है, उसे भाजन प्रत्ययिक बंध कहते हैं। जैसे लम्बे समय से रखी हुई पुरानी मदिरा अपने तरल रूप को छोड़ गाढ़ी बन जाती है। पुराना गुड़, पुराने तंदुल भी पिण्डीभूत हो जाते हैं। 25 परिणाम प्रत्ययिक बंध परिणाम का अर्थ है - रूपान्तरण । परमाणु स्कंधों का बादल आदि अनेक रूपों में परिणमन होता है, वह परिणाम प्रत्ययिक बंध है। क्रिया और परिणमन का सिद्धांत 291
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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