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________________ भारतीय दर्शन के वाद, प्रतिवाद एवं संवाद के परिणाम हैं - स्थिति, परिवर्तन और प्रतिफलन। प्रत्येक वस्तु की अपनी सत्ता है। उसकी एक प्रतिषेधात्मक अथवा परिवर्तनात्मक स्थिति आती है, तभी वह परिवर्तन के दौर से गुजरती है। जैसे; दूध एक स्थित्यात्मक सत्ता है। उसका प्रतिषेधात्मक परिवर्तन होता है और परिवर्तनजन्य दधि रूप है। भौतिकवाद के उक्त मूल सिद्धांत का फलित है1. विश्व अनन्त स्वतंत्र मौलिक पदार्थों का समुदाय है। 2. मौलिक पदार्थ विरोधी शक्तियों का समागम है, जिससे उनमें स्वभावतः गति या परिवर्तन होता रहता है। 3. विश्व की संरचना, योजना और व्यवस्था उसके अपने निजी स्वभाव के कारण है। किसी के नियंत्रण से नहीं। 4. किसी सत् का न विनाश होता है, न असत् का उत्पाद। 5. जगत का प्रत्येक अणु-परमाणु प्रतिक्षण परिवर्तनशील है। परिवर्तन परिमाणात्मक और गुणात्मक उभय रूप है। 6. जगत का परिवर्तन - चक्र शाश्वत है। भौतिकवादियों का यह प्रतिपादन, वस्तु स्थिति का चित्रण है। उनकी मान्यता के अनुसार वस्तु में स्वभाव से दो विरोधी शक्तियां पाई जाती हैं। इनसे पदार्थ को गति मिलती है। इस प्रकार भौतिकवादियों की विचारधारा जैन दर्शन के परिणामी नित्यवाद की अवधारणा के काफी निकट है। उन्होंने भी द्रव्य की अविच्छिन्न धारा के रूप में ध्रौव्यत्व को स्वीकार किया है। कार्य -कारण प्रवाह के अनादि - अनन्त होने में भी उन्हें आपत्ति नहीं है। जिन विरोधी शक्तियों के समवाय की चर्चा द्वंद्ववाद के रूप में की गई है, वह द्रव्य में अवस्थिति उसका निजी स्वभाव हैं। उत्पाद - व्यय दोनों शक्तियां वस्तु स्वभाव में सहभावी बनकर काम कर रही है। स्याद्वाद के अनुसार ऐसी कोई स्थिति नहीं होती, जिसके साथ उत्पाद - व्यय की अविच्छिन्न धारा न हो। प्रत्येक द्रव्य उभय-स्वभावी है। अस्तित्व जैसे द्रव्य का अनिवार्य घटक है, वैसे नास्तित्व भी है। दोनों मिलकर ही उसकी स्वतंत्र सत्ता की स्थापना करते हैं। इस प्रकार प्रत्येक द्रव्य की संचालन व्यवस्था उसके स्वरूप में निहित है। विज्ञान के अनुसार अणु के केन्द्र में प्रोटोन और न्युट्रोन नामक कण तथा परिधि 282 अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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