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________________ परलोक में कर्म किया, इस लोक में विपाक होता है। परलोक में कर्म किया, परलोक में ही उसका विपाक होता है। एक व्यक्ति ने किसी का शिरच्छेदन किया। फल प्राप्त कर मृत व्यक्ति के पुत्र ने उसे मार डाला, यह पहला विकल्प है। इस जन्म में कर्म किया, यहीं फल प्राप्त कर लिया। किसी ने चलते हुए व्यक्ति को मार डाला। परलोक में मृत व्यक्ति उसे मार डालता है। यह दूसरा विकल्प है। कोई व्यक्ति धार्मिक है अथवा नीति निष्ठ है; प्राणी मात्र के प्रति करूणाशील है। अचानक वज्रपात होता है। पत्नी या पुत्र का देहावसान होने से दुःखी हो जाता है। यह परलोक कृत कर्म का फल भोग है। जैन आगम विपाक सूत्र में मृगालोढ़ा का जीवन इस तथ्य का प्रमाण है। राजघराने में जन्म लिया किन्तु लोढ़े जैसा। न मरा हुआ, न जिंदा। न आदमी, न पत्थर। उसकी अवस्था विचित्र थी। शरीर की बदबू असह्य थी। पूर्वजन्म के कटु कर्मों के परिणाम स्वरूप ऐसा जीवन प्राप्त हुआ था। कर्म विपाक की विचित्रता हेतु प्रज्ञापना का ‘कर्मपद' पठनीय है। वहां कर्म विपाक के कई कारणों का उल्लेख है। उसके अनुसार गति, स्थिति, भव, पुद्गल, पुद्गल, परिणाम ये सारे कर्म विपाक के कारण हैं। द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव आदि भी कर्म विपाक में निमित्त बनते हैं। इनका भी कर्म विपाक से गहरा सम्बन्ध है। विपाक के तथाविपाक और अन्यथाविपाक के रूप में अन्य दो प्रकारों का भी उल्लेख मिलता हैतथाविपाक-इसका तात्पर्य है जिस रूप में कर्म किया उसी रूप में फल भोगना। अन्यथाविपाक- एक ने शो-रूम में आग लगा दी, दूसरे ने पहले वाले का घर लुटवा दिया, यह अन्यथा-विपाक है। जैन और योग दर्शन दोनों में सोपक्रम और निरूपक्रम के भेद से आयु विपाक को स्वीकार किया है। किसी बाह्य निमित्त से आयु समाप्त हो जाती है उसे सोपक्रम और किसी निमित्त के मिलने पर भी समाप्त न हो उसे निरूपक्रम कहते हैं। जैन दर्शनानुसार कृत कर्मों का फल भोग निश्चित है किन्तु कर्म की स्थिति, शक्ति, रस आदि को कम, अधिक या परिवर्तित किया जा सकता है। नियत विपाकी कर्मों में परिवर्तन की संभावना नहीं। अनियत विपाकी में परिवर्तन संभव है। जैन कर्म 194 अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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