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________________ स्वस्थ होगा तो सब कुछ स्वस्थ होगा। पाचन ठीक नहीं है तो अपान भी दूषित हो जायेगा। जिसका अपान दूषित है, उसमें नकारात्मक दृष्टिकोण, नकारात्मक सोच, नकारात्मक कल्पना, अनिष्ट भावना, आत्महत्या की भावना आदि पैदा होंगे। दूषित अपान के कारण मस्तिष्क निर्मल नहीं रह सकता । बहुत महत्त्वपूर्ण बात है मस्तिष्क को पवित्र रखना, मस्तिष्क की शक्ति का विकास करना । ३ जिन व्यक्तियों में माया कपट ज्यादा हो उन्हें विशुद्धि-केन्द्र पर ' णमो अरहंताणं' का ध्यान करना चाहिए । घ्राणेन्द्रिय पर विजय प्राप्त करने के लिए णमो आयरियाणं' का विशुद्धि-केन्द्र पर नीले रंग में ध्यान किया जाता है । आचार्य की चारित्र सुवास से गंध विषय वर्जन होता है। क्रोध ज्यादा आए तो नीले रंग को श्वास के साथ ग्रहण करें ।' स्मृति विकास के लिए यही जप विशुद्धि-केन्द्र पर पीले रंग में जपना चाहिए।" अरहंता मंगलं की एक माला इसी केंन्द्र पर जपने से अनेक योग्यताओं का विकास संभव है। सर्वांगासन, भुजंगासन और उनके प्रतिपक्ष में मत्स्यासन का प्रयोग करने से थाईराइड ग्रंथि का व्यायाम होता है। तनाव मुक्ति, मन की पवित्रता तथा थाइराइड ग्रंथि की स्वस्थता के लिए ये तीनों आसन अति उत्तम हैं 1 णमो आयरियाणं की एक माला विशुद्धि-केन्द्र पर जपने से विधायक भाव, मंगल भावों का विकास होता है। इस केन्द्र के जागृत होने से व्यक्ति कवि, महाज्ञानी, शांत चित्त, निरोग, शोकहीन और दीर्घजीवी हो जाता है । थाईराइड ग्रंथि के रोग भी इस चक्र के जागृत होने पर नहीं होते । प्रयोग प्रविधि मंत्र • ● सागरवरगंभीरा केन्द्र विशुद्धि केन्द्र (विशुद्धि केन्द्र का संवादी स्थान थाईराइड ग्रंथि है ) प्रयोग विधि सागरवर गंभीरा का विशुद्धि केन्द्र पर ध्यान व मानसिक जप लाभ पाचनतंत्र स्वस्थ होता है, चयापचय का संतुलन होता है, थाईराह के रोग दूर होते हैं । निष्कर्ष मनुष्य ऊर्जा का अक्षय कोष है। उसमें चेतना है, ज्ञान है और प्रयोग करने सागरवरगंभीरा / ५५
SR No.032419
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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