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________________ प्रयोग विधि कोर्ट में जाने से पूर्व तीन बार मंत्रोच्चारण करना। उसके पश्चात जो स्वर चल रहा हो वही पैर पहले घर से बाहर रखना तीन बार 'स्वाहा' बोलते हुए आगे बढ़ना । कोर्ट में न्यायाधीश के सामने अथवा दरवाजे के पास बैठे-बैठे जब तक पेशी चल रही हो तब तक मन ही मन जप करते रहना । मंत्र प्रयोग के ठीक एक माह बाद कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में हुआ जो इस प्रकार था - "मकान मालिक बापूलालजी की जो संतान है मांगीलाल, आनंदीलाल, श्रेणिक कुमार, इंदरमल - इनको इस मकान का कब्जा 90 दिन के अन्दर दिलवाकर अधीनस्थ न्यायालय इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में भेजे ।" निर्णय होने के 75 दिन तक जब कोई कार्यवाही नहीं की गई तो कोर्ट ने किजी को बुलाया और कहा - " आपको मकान का कब्जा लेना है, निर्देश मिल गया तो आपने कार्यवाही क्यों नहीं की । क्या आप आगे कब्जा लेना चाहते हैं?" श्रेणिकजी जब घर से रवाना हुए तो उस मंत्र का जप स्मरण करके गये थे और वहाँ पर भी मंत्र भीतर ही भीतर मौन स्वर में चल रहा था । उन्होंने कहा - "पूर्व में भी मैं दो-तीन बार केस जीत चुका हूं किंतु यहां के कर्मचारी मुझे कब्जा नहीं दिलाते, सामने वाले में मिल जाते हैं । " न्यायाधीश ने कर्मचारियों को बुलाकर कहा- ये क्या कह रहे हैं सुनो, कर्मचारी कब्जा नहीं दिलाते हैं और सामने वाले में मिल जाते हैं रिश्वत ले लेते हैं इसलिए मैंने कार्यवाही नहीं की। आगे अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने कहा - "तुम इनको कब्जा नहीं दिलाओगे तो मैं हाईकोर्ट में तुम्हारी रिपोर्ट लिख दूंगा जिससे तुम्हारी और मेरी - दोनों की नौकरी चली जायेगी। बोलो क्या करना है? इतना कह वह मौन हो गया । सब कर्मचारी बोले हम इन्हें कब्जा दिलाने के लिए तैयार है । आप कार्यवाही करें। उसके बाद मंत्र जप करते हुए श्रेणिकजी ने कार्यवाही की और तीन दिन में कब्जा मिल गया। इस प्रकार कुल 85 दिनों में सारा कार्य व्यवस्थित हो गया। तीस वर्षों से चल रहा मुकदमा मंत्र के सहारे आसानी से सुलझ गया और विजय श्री ने उनका वरण किया । संदर्भ मंत्र विद्या - पृ. / ३८ से ४० भीतर का रोग भीतर का इलाज, खण्ड- २ मनोचैतसिक चिकित्सा - पृ./ १२४, ११४, १४४ मंत्र- एक समाधान - पृ. / ६२, १४५, १८६, २१३ १३८ / लोगस्स - एक साधना - २
SR No.032419
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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