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________________ विघ्वनिवारणार्थ भगवान शांतिनाथ के नाम का स्मरण करें। विजय प्राप्ति हेतु भगवान अजितनाथ का नाम स्मरण करें। चार घनघाती कर्मों को क्षीण करने के लक्ष्य से भगवान मल्लिनाथ का स्मरण करें। अनुभवियों का कहना है कि अचानक जंगल में सिंह आदि का भय उपस्थित होने पर “ॐ उसभ" जो भगवान ऋषभ के नाम का लोगस्स के दूसरे पद्य में अन्तर्निहित मंत्र है। इसका तीन बार श्रद्धापूर्वक स्मरण करने से तत्काल भय दूर हो जाता है। निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि पवित्र लक्ष्य-कर्म निर्जरा के उद्देश्य से तीर्थंकरों के नामों का स्मरण करने से लोकोत्तर लाभ के साथ-साथ लौकिक लाभों की सृष्टि भी निर्मित होती है। यथालौकिक लाभ लोकोत्तर लाभ शुली का सिंहासन, अग्निकुण्ड का पवित्रता का विकास कमलासन एवं विष का अमृत आत्मशांति के आनंद की प्राप्ति बनना आदि। अन्तरात्मा में ज्ञान प्रकाश का विस्तार युद्ध विजय, वासनाओं की अशांति का निवारण वड्वाग्नि से मुक्ति, इच्छाओं का अल्पीकरण शारीरिक सौन्दर्य एवं समृद्धि की प्राप्ति, पापविनाशकता संकट व रोग निवारण, भव परम्परा का क्षय भय मुक्ति विघ्न-विनाशकता आदि। चौबीस तीथकरों के गुण निष्पन्न नाम ___ नाम व्यक्ति की पहचान का एक रूप है। प्रत्येक अर्हत् भगवंतों का नाम, जन्म, समय अथवा गर्भ प्रवेश का समय एक विशेष घटना प्रसंग से जुड़ा हुआ है और आज भी वे गुण निष्पन्न नाम उसी रूप में सिद्धिदायक हैं, अतः नामों की गुणात्मकता को ध्यान में रखते हुए उनको वंदन करना स्वयं के व्यक्तित्व को एक प्रेरणा और बल देना है। १. जो लोकालोक के स्वरूप को जानने वाले, परमपद को प्राप्त होने वाले, भव्यजनों के आधारभूत तथा उनके मनोरथों को पूरा करने वाले, धर्मरूपी बगीचे को प्रवचन रूपी जल से सींचने वाले एवं वृषभ चिह्न से युक्त हैं। अथवा भगवान ऋषभ जब गर्भ में आए, माता ने चौदह स्वप्नों में प्रथम १६८ / लोगस्स-एक साधना-१
SR No.032418
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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