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________________ गिरधारी से पूछा-"क्या तुमने घर से रवाना होते वक्त अपनी माँ के द्वारा बताये गये मंत्र का स्मरण किया था। इतने में ही वह चौंका और तत्क्षण लोगस्स के माध्यम से चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति करने लगा। स्मरण मात्र की देर थी। जीप सामान्य प्रयत्न मात्र से सड़क पर आकर खड़ी हो गई। जंगल भयावह था, वहाँ चोर, लुटेरों का भी भय था पर 'लोगस्स' का जप करते हुए सब सकुशल अपने गन्तव्य स्थल पर पहुँच गये। इस घटना से सबके मन में देव, गुरु व धर्म के प्रति प्रगाढ़ आस्था हो गई। ३. एक अन्य घटनाप्रसंग वि.सं. २०३२ का है। मोटागांव (गोगुंदा) के श्रावक वेणीरामजी खोखावत दृढ़धर्मी, लोकप्रिय, जिम्मेदार, श्रद्धालु और साधु-संतों के भक्त थे। एक दिन रात्रि के समय वे ऊपर के कमरे में सो रहे थे। अचानक डाकू आए और उन्हें मौत के मुख सुला गये। अगले दिन जब उनकी अन्तिम यात्रा शुरू हुई। अर्थी को कंधे पर उठाते ही तीर्थंकर भगवान महावीर का जयनारा लगाया गया। दरवाजे के बाहर पैर रखा कि समस्या आ गई। पुलिस इन्सपेक्टर और थानेदार कार्यवाही हेतु पहुँच गये। आदेश मिला अर्थी को नीचे उतारो। पहले समुचित कार्यवाही संपन्न होगी। इन्सपेक्टर का आदेश सुनते ही सब घबरा गये क्योंकि अर्थी को कंधे पर उठाने के बाद वापस नीचे रखना अपशकुन का प्रतीक माना जाता है। पता नहीं भगवान के नाम का क्या चामत्कारिक प्रभाव हुआ? तत्काल इन्स्पेक्टर बोला-जब भगवान महावीर का नाम ही ले लिया है, तो ले जाओ, शव की कार्यवाही नहीं करेंगे। पुलिस की गाड़ी तत्काल वहां से लौट गई। पुनः सारा वातावरण भगवान महावीर के जयनारों से गूंज उठा। तीर्थंकरों के पवित्र नामों का स्मरण सूर्य के प्रकाश के समान है जो माया के अंधकार को विलीन करता है। नाम महिमा का संगान करते हुए संत कबीर ने कहा है सुमिरन में सुख होत है, सुमिरन से दुःख जाय। कहे कबीर सुमिरन किये, सांई मांहि समाय ॥ तीर्थंकरों की एक-एक प्रमुख विशेषता को मध्य नजर रखते हुए उनके पवित्र नाम का स्मरण करने से वे-वे विशेषताएं हमारे भीतर उद्भाषित होने लगती हैं जैसे अभय की साधना के विकास के लिए भगवान ऋषभ का नाम स्मरण करें। वीरता के विकास हेतु भगवान महावीर का नाम स्मरण करें। सद्बुद्धि के लिए भगवान सुमतिनाथ का नाम स्मरण करें। नाम स्मरण की महत्ता / १६७
SR No.032418
Book TitleLogassa Ek Sadhna Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyayashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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