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________________ भगवती सूत्र श. १३ : उ. ६, ७ : सू. १२२-१२६ १२२. भंते! वह अभीचीदेव उस देवलोक से आयु-क्षय, भव-क्षय और स्थिति-क्षय के अनंतर उद्वर्तन कर कहां जायेगा ? कहां उपपन्न होगा ? गौतम ! महाविदेह वास में सिद्ध होगा यावत् सब दुःखों का अंत करेगा । १२३. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही है । सातवां उद्देश भाषा-पद १२४. राजगृह नगर यावत् गौतम ने इस प्रकार कहा - भंते! भाषा आत्मा है ? भाषा आत्मा से अन्य है ? गौतम ! भाषा आत्मा नहीं है, भाषा आत्मा से अन्य है । भंते! भाषा रूपी है ? भाषा अरूपी है ? गौतम ! भाषा रूपी है। भाषा अरूपी नहीं है । भाषा अचित्त है ? भंते! भाषा सचित्त है? गौतम ! भाषा सचित्त नहीं है, भाषा अचित्त है। भंते! भाषा जीव है ? भाषा अजीव है ? गौतम ! भाषा जीव नहीं है, भाषा अजीव है । भंते! जीवों के भाषा होती है ? अजीवों के भाषा होती है ? गौतम! जीवों के भाषा होती है, अजीवों के भाषा नहीं होती । भंते! बोलने से पहले भाषा होती है ? बोलते समय भाषा होती है ? बोलने का समय व्यतिक्रांत होने पर भाषा होती है ? गौतम ! बोलने से पहले भाषा नहीं होती, बोलते समय भाषा होती है, बोलने का समय व्यतिक्रांत होने पर भाषा नहीं होती। भंते! बोलने से पहले भाषा का भेदन होता है ? बोलते समय भाषा का भेदन होता है ? बोलने का समय व्यतिक्रांत होने पर भाषा का भेदन होता है ? गौतम ! बोलने से पहले भाषा का भेदन नहीं होता, बोलते समय भाषा का भेदन होता है, बोलने का समय व्यतिक्रांत होने पर भाषा का भेदन नहीं होता । १२५. भंते ! भाषा के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! भाषा के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- सत्या, मृषा, सत्यामृषा, असत्यामृषा । मन-पद १२६. भंते! मन आत्मा है ? मन आत्मा से अन्य है ? गौतम ! मन आत्मा नहीं है। मन आत्मा से अन्य है । भंते! मन रूपी है ? मन अरूपी है ? ५१४
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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