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________________ भगवती सूत्र श. ३० : उ. १ : सू. १२-१९ करते हैं। इसी प्रकार अज्ञानिकवादी भी, वैनयिकवादी भी वक्तव्य हैं। १३. भन्ते! लेश्या-युक्त-क्रियावादी-जीव क्या नैरयिक-आयु का बन्ध करते हैं........? पृच्छा । गौतम! लेश्या-युक्त-क्रियावादी-जीव नैरयिक-आयु का बन्ध नहीं करते, इसी प्रकार जीव की भांति लेश्या-युक्त जीवों में चारों समवसरण वक्तव्य हैं। १४. भन्ते! कृष्ण-लेश्या वाले क्रियावादी-जीव क्या नैरयिक-आयु का बन्ध करते हैं.........? पृच्छा । गौतम! कृष्ण-लेश्या वाले क्रियावादी-जीव नैरयिक-आयु का बन्ध नहीं करते, तिर्यग्योनिक-आयु का बन्ध नही करते, मनुष्य-आयु का बन्ध करते हैं, देव-आयु का बन्ध नहीं करते। कृष्ण-लेश्या वाले अक्रियावादी, अज्ञानिकवादी और वैनयिकवादी जीव चारों ही प्रकार के आयुष्य का बन्ध करते हैं। इसी प्रकार नील-लेश्या वाले और कापोत-लेश्या वाले क्रियावादी, अक्रियावादी, अज्ञानिकवादी और वैनयिकवादी जीवों की वक्तव्यता। १५. भन्ते! तेजो-लेश्या वाले क्रियावादी-जीव क्या नैरयिक-आयु का बन्ध करते हैं......? पृच्छा । गौतम! तेजो-लेश्या वाले क्रियावादी-जीव नैरयिक-आयु का बन्ध नहीं करते, तिर्यग्योनिक-आयु का बन्ध नहीं करते, मनुष्य-आयु का भी बन्ध भी करते हैं, देव-आयु का भी बन्ध करते हैं। यदि देव-आयु का बन्ध करते हैं, तो पूर्ववत् वक्तव्यता। (भ. ३०/११) १६. भन्ते! तेजो-लेश्या वाले अक्रियावादी-जीव क्या नैरयिक-आयु का बन्ध करते हैं.......? पृच्छा । गौतम! तेजो-लेश्या वाले अक्रियावादी-जीव नैरयिक-आयु का बन्ध नहीं करते, मनुष्य-आयु का भी बन्ध करते, तिर्यग्योनिक-आयु का भी बन्ध करते हैं, देव-आयु का भी बन्ध करते हैं। इसी प्रकार तेजो-लेश्या वाले अज्ञानिकवादी, वैनयिकवादी-जीवों की भी वक्तव्यता। जिस प्रकार तेजो-लेश्या वाले अक्रियावादी-जीवों की वक्तव्यता। वैसे ही पद्म-लेश्या वाले भी, शुक्ललेश्या वाले जीव भी ज्ञातव्य हैं। १७. भन्ते! लेश्या-रहित-क्रियावादी-जीव क्या नैरयिक-आयु.........? पृच्छा। गौतम! लेश्या-रहित-क्रियावादी-जीव नैरयिक-आयु का बन्ध नहीं करते, तिर्यग्योनिक-आयु का बन्ध नहीं करते, मनुष्य-आयु का बन्ध नहीं करते, देव-आयु का बन्ध नहीं करते। १८. भन्ते! कृष्णपाक्षिक-अक्रियावादी-जीव क्या नैरयिक-आयु........? पृच्छा। गौतम! कृष्णपाक्षिक-अक्रियावादी-जीव नैरयिक-आयु का भी बन्ध करते हैं। इसी प्रकार चारों प्रकार के आयु का भी बन्ध करते हैं। इसी प्रकार कृष्णपाक्षिक-अज्ञानिकवादी भी और वैनयिकवादी भी वक्तव्य हैं। शुक्लपाक्षिक-जीव लेश्या-युक्त-जीवों की भांति वक्तव्य है। १९. भन्ते! सम्यग्-दृष्टि-क्रियावादी-जीव क्या नैरयिक-आयु का बन्ध करते हैं.......? पृच्छा। ८८३
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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