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________________ भगवती सूत्र श. २६ : उ. ७-१० : सू. ४२-४९ -नैरयिक-जीव ने क्या पाप कर्म का बन्ध किया था......? पृच्छा। (भ. २६/१) गौतम! इसी प्रकार जैसा परम्परोपपन्नक-उद्देशक की वक्तव्यता है, (भ. २६/३४) वही निरवशेष वक्तव्य है। ४३. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। आठवां उद्देशक (अनन्तर-पर्याप्तक-बन्धाबन्ध) ४४. भन्ते! जो पर्याप्तकत्व के प्रथम समयवर्ती नैरयिक-जीव है उस अनन्तर-पर्याप्तक-नैरयिक-जीव ने क्या पाप-कर्म का बन्ध किया था.......? पृच्छा। (भ. २६/१) गौतम! जैसे अनन्तरोपपन्नक-(नैरयिक आदि) की वक्तव्यता है, (भ. २६/२९-३२) वही निरवशेष वक्तव्य है। ४५. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। नौवां उद्देशक (परम्पर-पर्याप्तक का बन्धाबन्ध) ४६. भन्ते! जो पर्यातकत्व के दूसरे, तीसरे आदि समयवर्ती नैरयिक-जीव है उस परम्परपर्याप्तक-नैरयिक-जीव ने क्या पाप-कर्म का बन्ध किया था.....? पृच्छा। (भ. २६/ गौतम! इसी प्रकार जैसा परम्परोपपन्नक-(नैरयिक आदि)-उद्देशक की वक्तव्यता है, (भ. २६/३४) वैसा निरवशेष वक्तव्य है। ४७. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। इसी प्रकार भगवान् गौतम यावत् संयम और तप से अपने आप को भावित करते हुये विहरण कर रहे हैं। दसवां उद्देशक (चरम का बन्धाबन्ध) ४८. भन्ते! उस चरम-नैरयिक जो पुनः नैरयिक भव प्राप्त नहीं करेगा उस जीव ने क्या पाप-कर्म का बन्ध किया था......? पृच्छा। ((भ. २६/१) गौतम! इसी प्रकार जैसे परम्परोपपन्नक-(नैरयिक आदि)-उद्देशक की वक्तव्यता है। (भ. २६/३४) वैसे ही चरम-(नैरयिक आदि)-उद्देशक निरवशेष वक्तव्य है। ४९. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। इस प्रकार भगवान गौतम यावत् संयम और तप से अपने आप को भावित करते हुये विहरण कर रहे हैं। ८७३
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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