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________________ श. २५ : उ. ४ : सू. १६७-१७६ भगवती सूत्र प्रदेश की अपेक्षा इनसे अनन्त-गुणा हैं। इसी प्रकार मृदु-, गुरु- और लघु-स्पर्शों का अल्पबहुत्व वक्तव्य है। शीत-, उष्ण-, स्निग्ध- और रूक्ष-स्पों का अल्पबहुत्व भी वर्गों की भांति वक्तव्य है। १६८. भन्ते! (एक) परमाणु-पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा क्या कृतयुग्म है? त्र्योज है? द्वापरयुग्म है? कल्योज है? गौतम! कृतयुग्म नहीं है, योज नहीं है, द्वापरयुग्म नहीं है, कल्योज है। इसी प्रकार यावत् (एक) अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध वक्तव्य है। १६९. भन्ते! (अनेक) परमाणु-पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा क्या कृतयुग्म हैं?....पृच्छा। गौतम! ओघादेश से स्यात् कृतयुग्म हैं, यावत् स्यात् कल्योज हैं; विधानादेश से कृतयुग्म नहीं हैं, व्योज नहीं हैं, द्वापरयुग्म नहीं हैं, कल्योज हैं। इसी प्रकार यावत् (अनेक) अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध वक्तव्य हैं। १७०. भन्ते! (एक) परमाणु-पुद्गल प्रदेश की अपेक्षा क्या कृतयुग्म है-पृच्छा। गौतम! कृतयुग्म नहीं है, त्र्योज नहीं है, द्वापरयुग्म नहीं है, कल्योज है। १७१. (एक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध.....? पृच्छा। गौतम! कृतयुग्म नहीं है, त्र्योज नहीं है, द्वापरयुग्म है, कल्योज नहीं है। १७२. (एक) त्रि-प्रदेशी स्कन्ध......? पृच्छा। गौतम! कृतयुग्म नहीं है, योज है, द्वापरयुग्म नहीं है, कल्योज नहीं है। १७३. (एक) चतुः-प्रदेशी स्कन्धं.......? पृच्छा। गौतम! कृतयुग्म है, व्योज नहीं है, द्वापरयुग्म नहीं है, कल्योज नहीं है। (एक) पञ्च-प्रदेशी स्कन्ध (एक) परमाणु-पुद्गल की भांति है (भ. २५/१७०) (एक) षट्-प्रदेशी स्कन्ध (एक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध की भांति है (भ. २५/१७१)। (एक) सप्त-प्रदेशी स्कन्ध (एक) त्रि-प्रदेशी स्कन्ध की भांति है (भ. २५/१७२) (एक) अष्ट-प्रदेशी स्कन्ध (एक) चतुः-प्रदेशी स्कन्ध की भांति है (भ. २५/१७३)। (एक) नव-प्रदेशी स्कन्ध (एक) परमाणु-पुद्गल की भांति है। (भ. २५/१७०)। (एक) दस-प्रदेशी स्कन्ध (एक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध की भांति है (भ. २५/१७१)। १७४. भन्ते! प्रदेश की अपेक्षा (एक) संख्येय-प्रदेशी पुद्गल-स्कन्ध.....? पृच्छा। गौतम! स्यात् कृतयुग्म है यावत् स्यात् कल्योज है। इसी प्रकार (एक) असंख्येय-प्रदेशी पुद्गल-स्कन्ध की भी, इसी प्रकार (एक) अनन्त-प्रदेशी पुद्गल स्कन्ध भी। १७५. भन्ते! (अनेक) परमाणु-पुद्गल प्रदेश की अपेक्षा क्या कृतयुग्म हैं....? पृच्छा। गौतम! ओघादेश से स्यात् कृतयुग्म हैं, यावत् स्यात् कल्योज हैं; विधानादेश से परमाणुपुद्गल कृतयुग्म नहीं हैं, त्र्योज नहीं हैं, द्वापरयुग्म नहीं हैं, कल्योज हैं। १७६. (अनेक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध.....? पृच्छा। ८०६
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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