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________________ भगवती सूत्र अवगाहना सबसे अल्प है। असंख्येय-गुणा है । असंख्येय - गुणा है । असंख्येय - गुणा है। श. १९ : उ. ३ : सू. २४-२६ गौतम ! १. अपर्याप्तक-सूक्ष्म- निगोद की जघन्य २. अपर्याप्तक-सूक्ष्म वायुकायिक की जघन्य ३. अपर्याप्तक- सूक्ष्म - तैजसकायिक की जघन्य ४. अपर्याप्तक- सूक्ष्म अप्कायिक की जघन्य अवगाहना उससे अवगाहना उससे अवगाहना उससे ५. अपर्याप्तक- सूक्ष्म- पृथ्वीकायिक की जघन्य अवगाहना उससे ६. अपर्याप्तक- बादर - वायुकायिक की जघन्य अवगाहना उससे ७. अपर्याप्तक- बादर- तैजसकायिक की जघन्य अवगाहना उससे अवगाहना उससे अवगाहना उससे ८. अपर्याप्तक- बादर - अप्कायिक की जघन्य ९. अपर्याप्तक - बादर - पृथ्वीकायिक की जघन्य १०- ११. प्रत्येक शरीर वाले बादर - वनस्पतिकायिक और बादर - निगोद - इनकी अपर्याप्तक अवस्था की जघन्य अवगाहना तुल्य तथा अपर्याप्तक- बादर - पृथ्वीकायिक की जघन्य अवगाहना से असंख्येय-गुणा है । १२. पर्याप्तक-सूक्ष्म- निगोद की जघन्य अवगाहना उससे असंख्येय - गुणा है । १३. उसके अपर्याप्तक की उत्कृष्ट अवगाहना उससे विशेषाधिक है। १४. उसके पर्याप्तक की उत्कृष्ट अवगाहना उससे विशेषाधिक है । १५. पर्याप्तक- सूक्ष्मवायुकायिक की जघन्य अवगाहना उससे असंख्येय - गुणा है । १६. उसके अपर्याप्तक की उत्कृष्ट अवगाहना उससे विशेषाधिक है। १७. उसके पर्याप्तक की उत्कृष्ट अवगाहना उससे विशेषाधिक है । १८ २०. इसी प्रकार सूक्ष्म - तैजसकायिक की वक्तव्यता । २१ - २३. इसी प्रकार सूक्ष्म - अप्कायिक की वक्तव्यता । २४- २६. इसी प्रकार सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक की वक्तव्यता । २७-२९. इसी प्रकार बादर - वायुकायिक की वक्तव्यता । ३०-३२. इसी प्रकार बादर - तैजसकायिक की वक्तव्यता । ३३-३५. इसी प्रकार बादर - अप्कायिक की वक्तव्यता । ३६-३८. इसी प्रकार बादर - पृथ्वीकायिक की वक्तव्यता । ये सब तीन (१८-३८) गमों के द्वारा वक्तव्य है । ३९. पर्याप्तक- बादर - निगोद की जघन्य अवगाहना असंख्येय-गुणा है । अपर्याप्तक- बादर- निगोद की उत्कृष्ट अवगाहना उससे विशेषाधिक है। ४१. पर्याप्तक- बादर-निगोद की उत्कृष्ट अवगाहना उससे विशेषाधिक है । ४२. पर्याप्तकप्रत्येक - शरीरी - बादर वनस्पतिकायिक की जघन्य अवगाहना उससे असंख्येय-गुणा है । ४३. अपर्याप्तक- प्रत्येक शरीरी - बादर - वनस्पतिकायिक की उत्कृष्ट अवगाहना उससे असंख्येयगुणा । ४४. पर्याप्तक- प्रत्येक शरीरी - बादर-वनस्पति- कायिक की उत्कृष्ट अवगाहना उससे असंख्येय-गुणा है । ४०. स्थावर-जीवों का सर्व-सूक्ष्म-सर्व- बादर - पद असंख्येय-गुणा 1 असंख्येय-गुणा है । असंख्येय-गुणा है । असंख्येय-गुणा है । असंख्येय-गुणा है । २५. भंते! इन पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तैजसकायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक में कौनसा काय सर्वथा सूक्ष्म है? कौनसा काय सबमें अतिशय सूक्ष्म है ? गौतम ! वनस्पतिकाय सर्वथा सूक्ष्म है, वनस्पतिकाय सबमें अतिशय सूक्ष्म है। २६. भंते! इन पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तैजसकायिक और वायुकायिक में कौनसा काय सर्वथा सूक्ष्म है ? कौनसा काय सबमें अतिशय सूक्ष्म है ? ६६२
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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