SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 226
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श. १८ : उ. ७ : सू. १२१-१३२ प्रकार की उपधि प्रज्ञप्त है, जैसे - कर्म - उपधि, शरीर - उपधि । १२२. भंते! उपधि के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं ? भगवती सूत्र गौतम ! उपधि के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- सचित्त, अचित्त, मिश्र । इसी प्रकार नैरयिकों की वक्तव्यता । इसी प्रकार निरवशेष यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता । परिग्रह - पद १२३. भंते! परिग्रह कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! परिग्रह तीन प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे - कर्म-परिग्रह, शरीर - परिग्रह, बाह्य-भांड- अमत्र - उपकरण - परिग्रह | १२४. भंते! नैरयिकों के कितने प्रकार के परिग्रह प्रज्ञप्त हैं ? जैसे उपधि के दो दंडक कहे गए हैं, वैसे परिग्रह के भी दो दंडक वक्तव्य हैं। प्रणिधान पद १२५. भंते! प्रणिधान के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! प्रणिधान के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे - मनः प्रणिधान, वचन - प्रणिधान, काय - प्रणिधान । १२६. भंते! नैरयिकों के कितने प्रकार के प्रणिधान - प्रज्ञप्त हैं ? पूर्ववत् । इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों की वक्तव्यता । १२७. पृथ्वीकायिकों की पृच्छा । गौतम ! एक काय - प्रणिधान प्रज्ञप्त है। इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिकों की वक्तव्यता । १२८. द्वीन्द्रियों की पृच्छा । गौतम ! दो प्रकार के प्रणिधान प्रज्ञप्त हैं, जैसे - वचन - प्रणिधान, काय प्रणिधान । इसी प्रकार यावत् चतुरिन्दियों की वक्तव्यता । शेष के तीन प्रकार के प्रणिधान प्रज्ञप्त हैं । यावत् वैमानिक | १२९. भंते! दुष्प्रणिधान के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं ? गौतम ! दुष्प्रणिधान के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे - मनःदंडक कहा गया है, वैसे ही दुष्प्रणिधान का भी वक्तव्य है । १३०. भंते! सुप्रणिधान के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं ? गौतम! सुप्रणिधान के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे - मनः - सुप्रणिधान, वचन - सुप्रणिधान, काय - सुप्रणिधान । १३१. भंते! मनुष्यों के कितने प्रकार के सुप्रणिधान प्रज्ञप्त हैं ? पूर्ववत् । १३२. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही है। यावत् विहरण करने लगे । ६४४ :- दुष्प्रणिधान । जैसे प्रणिधान का
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy