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________________ अठारहवां शतक पहला उद्देशक संग्रहणी गाथा १. प्रथम २. विशाखा ३. माकंदिक ४. प्राणातिपात ५. असुर ६. गुड़ ७. केवली ८. अनगार ९. भव्य १०. सोमिल ये अठारहवें शतक के दस उद्देशक हैं। प्रथम-अप्रथम-पद १. उस काल और उस समय में राजगृह नगर यावत् गौतम ने इस प्रकार कहा-भंते! जीव जीव-भाव से प्रथम है? अप्रथम है? गौतम! प्रथम नहीं है, अप्रथम है। इस प्रकार नैरयिक यावत् वैमानिक की वक्तव्यता। २. भंते! क्या सिद्ध सिद्ध-भाव से प्रथम है? अप्रथम है? गौतम! प्रथम है, अप्रथम नहीं है। ३. भंते! जीव जीव-भाव से प्रथम हैं? अप्रथम हैं? गौतम! प्रथम नहीं हैं। अप्रथम हैं। इस प्रकार यावत् वैमानिक की वक्तव्यता। ४. सिद्धों की पृच्छा। गौतम! प्रथम हैं, अप्रथम नहीं हैं। ५. भंते! आहारक-जीव आहार-भाव से क्या प्रथम है? अप्रथम है? गौतम! प्रथम नहीं है, अप्रथम है। इस प्रकार यावत् वैमानिक की वक्तव्यता। इस प्रकार बहुवचन की वक्तव्यता। ६. भंते! अनाहारक-जीव अनाहार-भाव से-पृच्छा। गौतम! स्यात् प्रथम है, स्यात् अप्रथम है। ७. भंते! नैरयिक-जीव अनाहारक-भाव से-पृच्छा। इसी प्रकार नैरयिक यावत् वैमानिक प्रथम नहीं हैं, अप्रथम है। सिद्ध प्रथम है, अप्रथम नहीं ८. भंते! अनाहारक-जीव अनाहारक-भाव से-पृच्छा। गौतम! प्रथम भी हैं, अप्रथम भी हैं। नैरयिक यावत् वैमानिक प्रथम नहीं हैं, अप्रथम हैं। सिद्ध प्रथम हैं, अप्रथम नहीं हैं-एक-एक पृच्छा वक्तव्य है। ६२७
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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